Hindi Kavita
हिंदी कविता
"तुम्हारी याद"
हाल ए दिल कहें भी तो कहें किससे,
एक तेरी ही याद आती है बरसों से।।
तुम तो कहती थी मेरे बिन रह न पाओगी,
मैं जो न मिला तो जीते जी मर जाओगी।
अब क्या हुआ जो गए छोड़ के मुझको,
तुम तो भूले पर मैं भुला न पाया तुझको।
क्या तुम्हें मेरी इतनी सी भी याद नहीं आती,
क्या अब मेरे बिना तुम्हारी जान नहीं जाती।
याद तो होंगी ही वो हमारी सारी बातें,
साथ में ही गुजरे थे ये दिन और ये रातें।।
जाने फिर कब ऐसी हंसी रात होगी,
जिस दिन हमारी तुमसे मुलाकात होगी,
बैठेंगे जब हम और तुम एक संग,
कैसे कहें हम फिर क्या बात होगी।।
बात में थी जो बात वो बात रह गयी,
तुम्हारे साथ थी जो मेरी मुलाकात रह गयी।
तुम तो न आये न आया फिर कोई और,
मेरे साथ तो बस एक तुम्हारी याद रह गयी।
अभिषेक मिश्र -