Hindi Kavita
हिंदी कविता
"एक और दीवाली"
याद है तुम्हें वो अपना पहला त्योहार,
तुम्हारी सूरत पर दिल गया था हार।
वो तो है काली घनी जुल्फों वाली,
लो बीत गयी एक और दीवाली।।
रंगों,गुलालों और फूलों को लेकर,
आज भी तुमने रंगोली बनाई होगी।
तुम्हारी उन भोली सी अदाओं ने,
रोशनी फिजाओं में बिखेरी होगी।
हमने तो तेरी याद में पलकें भिगा ली,
लो बीत गयी एक और दीवाली।।
बस तुम्हारे ही एक ख्यालों में,
जगमग दीप के उजालों में।
कुछ अनकहे जज्बातों ,सवालों में,
बीती है अमावस की रात काली।
लो बीत गयी एक और दीवाली।।
अभिषेक मिश्र -