Hindi Kavita
हिंदी कविता
"तुम्हारी यादों का सैलाब"
सुनो दिकु...
आखों में भरा हुआ घना-सा अंधेरा
पर तुम बिन मैं सो ना सका
दिल में है बन्द असह्य पीड़ाओं का समंदर
फिर भी उछलती लहरों की तरह मैं रो ना सका
कमी रह गयी शायद मेरे प्यार में कुछ
जो ईश्वर ने जुदा कर दिया हमें
टूटकर बिखर गया हमारे इश्क का हार
शिद्दत से सम्भाले हुए एहसासों के धागों को
प्रेम के मोतियों में मैं पिरो ना सका
तुम्हारे इंतज़ार में पल-पल तड़प रहा ये अंतर्मन
सिर्फ तुम्हारा ही रहकर चल दिया
यह उम्रभर अब किसी और का हो ना सका
*प्रेम का इंतज़ार अपनी दिकु के लिए*
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