Hindi Kavita
हिंदी कविता
"तुम बिन"
सुनो दिकु...
तुम बिन दिल की बातें कहां करें
तुम संग पहले-सा मिलन हम कहां करें
तुम बिन सुना-सा संसार मेरा
तुम बिन ठीक नहीं रहा किसी से व्यवहार मेरा
तुम बिन सुखी हरे भरे पौधों की डाली
तुम बिन खाली पड़ी है मेरी चाय की प्याली
दिल का ये दर्द किसको बयाँ करें
तुम्हें ये कहने के लिए दिकु बताओ
तुम संग पहले-सा मिलन हम कहाँ करें
तुम बिन यह तन-मन सुना
दिल की धड़कनें और चमन सुना
सन्नाटों भरी तन्हाई की शाम ढली
तुम्हारी कमी खूब मचाती है दिल में खलबली
तुम्हारे जाने से खो चुके है खुद को
अपने आप का कैसे हम पता करें
बताओ दिकु
तुम संग पहले-सा मिलन हम कहाँ करें
*प्रेम का इंतज़ार अपनी दिकु के लिए*
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