Hindi Kavita
हिंदी कविता
"ठंड शुरू हो गयी"
सुनो दिकु...
ठंड शुरू हो गयी है
खुद की तकलीफ को भूलकर मेरा ख्याल रखती थी
हमेंशा जैकेट पहनने के लिए मुजे टोका करती थी
आज भी याद आती है वह तुम्हारी फिक्र मेरे लिए
कभी गुस्सा करना समय पर खाने के लिए
तो कभी नाराज़ होना समय पर सोने के लिए
हाँ, नहीं रखता अब खुद का ख्याल में
तड़प रहा हूँ दिल से, तुम्हें वापिस बुलाने के लिए
पर सुनो तुम
अपना भी ख्याल रखना अब
लिमिट में करना है काम सब
थोड़ी-सी भी लापरवाही ना करना अब
तुम्हारी पसन्द गर्मी अब चली गयी है
क्योंकि ठंड शुरू हो गयी है
*प्रेम का इंतज़ार अपनी दिकु के लिए*
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