तुम्हारा साथ - अभिषेक मिश्र | Tumhara Saath - Abhishek Mishra

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"तुम्हारा साथ"

आते हैं जहन में जाने कितने खयालात,
दिल है मचलता दिख ही जाते जज्बात।
आओ जो तुम तो बने फिर कोई बात,
मुझको तो चाहिए बस तुम्हारा साथ।।
          
              तुम्हारे बिन कुछ न अब आता है रास,
              तुम हो जीवन की अधूरी एक प्यास।
              आओ बैठो पास दो हाथों में हाथ,
              मुझको तो चाहिए बस तुम्हारा साथ।।

धरा पर तो होता ही रहता आना जाना,
मैंने तो सब कुछ बस तुमको ही माना।
तेरे संग ही गुजरे अब मेरे दिन रात,
मुझको तो चाहिए बस तुम्हारा साथ।।

               मैंने तो कभी तुम्हें देखा न पास से,
               मुझे तो है मोहब्बत तेरे एहसास से।
               तुम्हीं से हैं साँसें तुम्हीं से मेरे अल्फाज,
               मुझको तो चाहिए बस तुम्हारा साथ।।

                        
अभिषेक मिश्र -

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