Hindi Kavita
हिंदी कविता
"मधुर मिलन"
जो भी होंगे मेरे,
ख़ुशियों के रंग,
मुझको तो जीना,
आप ही से तो है,
मेरी हर एक उम्मीद,
आप ही से तो है,
मेरी दीवाली और ईद।
मिलेंगे जो आप तो,
करेंगे हम गुमां,
आपको ही पाना,
दिल का है अरमां।
जाने क्या हर क्षण,
करती हैं बातें,
आपकी ये दोनों,
जादू भरी आँखें।
पास बैठें जो आप तो,
सुनाऊं कोई ग़ज़ल,
आप ही तो है,
मेरे आज और कल।
बताओ जी कैसे कटे,
ये अंधेरी सर्द रात,
कैसे कहूँ मैं आपसे,
अपने दिल के जज्बात।
आप ही आप हो,
सावन के झूलों में,
मुझे दिखते हो हर,
कलियों हर फूलों में।
आप ही से तो है,
मेरी सारी चाहतें,
आप हैं तो है इन,
होठों पर मुस्कुराहटें।
आप हैं जो आते,
चेहरा जाता है खिल,
आपके आने ही तो,
धड़कता है ये दिल।
आप सा अब तो मेरा,
न है कोई भी खास,
आप ही तो हैं मेरे,
एक खूबसूरत एहसास।
आपकी हर फिक्र बस ,
आँखों में ही दिखे,
बातें भी बनाना,
कोई आपसे ही सीखे।
आप बिन तो सूना,
है ये सारा जहाँ,
जब मैंने उनसे ,
इतना सब कहा।
बोले अजी तुम,
क्यों हो घबराते,
क्या आपको हम,
इतना भी न चाहते।
हर पल तो रहती है,
आप पर ही नजर,
हमें भी तो है करना,
साथ में ही हर सफर।
आप ही तो हो,
मेरे दिल की हसरत,
दिल में बसी है,
आपकी ही सूरत।
देखा था जब,
आपको पहली दफ़ा,
आप तो लगते थे,
हरदम ही खफा।
देखते ही आपको,
साँसें रुक सी गयी,
मेरी तो रातों की,
नींद ही उड़ गई।
आपके लिए मेरा,
प्यार है ये सच्चा,
आपके बिना तो लगे,
न कुछ भी अब अच्छा।
मैंने तो हर काम,
आपके बाद किया है,
हर दिन हर पल ,
बस आपको याद किया है।
जाने ये कितने पल,
जाने और कितने दिन,
जीने पड़ेंगे मुझे,
अभी आपके बिन।
फिर उसके बाद ,
कुछ कह न पाई,
कहते ही कहते,
उनकी आँख भर आईं।
कहा मैंने उनसे,
यूँ अश्रु न लाओ,
ये है अनमोल,
इन्हें ऐसे न बहाओ।
हम भी आप बिन,
रह ही न पाते,
मेरे रहते हुए ,
आप क्यों घबराते।
अब गुजरेंगे साथ,
खुशियों भरे ये दिन,
होगा बस अब तो,
अपना मधुर मिलन।।
अभिषेक मिश्र -