Hindi Kavita
हिंदी कविता
"ख्वाब"
वो बाहों में आये,
आकर चले गए।
जाने क्या कुछ,
जुल्फों को गिराकर,
पलकों को झुकाकर।
चूमे ये अधर,
अधरों को मिलाकर।
हम तो उनके ही,
आगोश में थे।
जज्बात हमारे,
कहाँ होश में थे।।
एहसास दिल के सब,
जुदा हो गए।
इक पल में ही ,
वो खुदा हो गए।
धीरे से बोले,
ले हाथों में हाथ।
चलना है अब तो,
जीवनभर साथ।।
तुम बिन मेरा,
जीवन है अधूरा।
मिलोगे जो तुम,
ख्वाब होगा पूरा।
अब तो बिन तुम्हारे,
मुझे नहीं जीना।
तुमने मेरी नींद,
मेरा चैन छीना।।
तुमसे ही तो है,
दिल का धड़कना।
बिना तुम्हारे ,
है मुझको तड़पना।।
सुनो न तुम,
कुछ बताना है तुम्हें।
जितना भी है प्यार,
जताना है तुम्हें।।
तुम्हीं से मेरी,
ज़िन्दगी का मुस्कुराना।
तुम्हारे ही संग,
है सफर ये सुहाना।
छोड़ो न जी,
अब मुझे तड़पाना।
बोलो तुम भी क्या,
चाहोगे ये निभाना।।
तुम्हे तो पाना,
होगा मेरा नसीब।
मिलकर तुमसे हूँगी,
खुद के करीब।।
तुम्हीं से है रातें,
तुम्हीं से हैं दिन।
ज़िन्दगी कैसे ये,
कटेगी तुम बिन।।
इतना सब कहकर,
हल्के से मुस्कुराये।
कुछ भी न सोचा,
बस नजरें मिलाये।
आँखों मे बसी थी,
मेरी ही सूरत।
उस पल नहीं थी,
किसी की जरूरत।।
आँखों में देखें ,
या जुल्फें सवारें।
मेरी आँखें तो ,
उन्हीं को निहारें।
तारीफ में उनकी,
बोलूँ कुछ जरा।
स्वर्ग से आई हो,
जैसे कोई अप्सरा।।
नशीली आँखें और,
वो मखमली गाल।
देखकर हमारा तो,
हुआ बुरा हाल।।
बोलो अजी अब,
बस भी करो।
छोड़ो देखना,
बाहों में भरो।।
जाने कहाँ से फिर,
आया चेहरे पे आब।
खुल गयी नींद,
ये सब था ख्वाब।।
अभिषेक मिश्र -