Hindi Kavita
हिंदी कविता
"हमको शिक्षक बनना"
गुमनाम मंजिल है रास्तों की नहीं है खबर,
बेरोजगारी ने जीवन में लाया ऐसा कहर,
किसी के हमसफ़र छूटे तो छूटे किसी के घर।
अपनों की ही दन्स से आहत होता अंतर्मन,
निगाहें खुली रह जाती घायल होता है ये तन,
आँखों में अश्रु आये, रुके न उनकी धार,
प्राथमिक भर्ती वालों पर सरकार का अत्याचार।
धरने ,मिन्नतें, इबादत नहीं छोड़ी कोई कसर ,
गूंगी बहरी सरकार पर होता नहीं कोई असर।
हम सब की परेशानी की उनको नहीं कोई खबर,
हर बार कर देते शिक्षक अनुपात बराबर।
वो उम्मीद अभी खोई नही,
मिलेगी शायद एक राह नई।
सफर में मुश्किलें आएंगी कई,
हिम्मत मगर है हारना नहीं।
दिन रात सोचते हैं हम सब सपना,
बाँध दिए उसी में जीवन अपना ।
भूल गए और कुछ भी करना,
बस एक दिन हमको शिक्षक बनना।
अभिषेक मिश्र -