Hindi Kavita
हिंदी कविता
"चंद्रयान"
स्वर्णपक्षी कहलाता था प्यारा भारत देश,
वीर शहीदों के बलिदानों ने फिर से आजाद कराया,
आजाद हिंद का तिरंगा फिर से लहराया,
सच्चे श्रम से फिर भारत ने उठने की ठाना,
इसरो 69 में हुआ स्थापित तब दुनिया ने जाना,
साराभाई,नम्बी और कलाम ने सपना दिखलाया,
विश्व गुरु फिर से बनने की ओर कदम बढ़ाया,
चाँद पे जाने के सपने का भारत ने लिया संकल्प,
उसको पूर्ण करने का नहीं था कोई विकल्प,
पर धैर्य, साहस और समर्पण कभी कहा विफल हुआ है,
कठिन परिश्रम कर के ही तो भारत आज सफल हुआ है
आज भारत ने फिर से विश्व में जय का एक इतिहास रचा,
सुदूर चाँद तक जाकर हमने विश्व विजय का स्वाद चखा,
विश्व गुरु फिर से बनना है वो आज न तो कल होगा,
विश्व विजेता भारत का अगला मिशन मंगल होगा।।
अभिषेक मिश्र -