Hindi Kavita
हिंदी कविता
"मेरी ज़िन्दगी कुछ यूं चल रही है"
मेरी ज़िंदगी कुछ यूं ही चल रही है
लगता है जैसे हमसे जुदा हो गया है
उसकी हर पल बस कमी खल रही है।
मेरी ज़िंदगी कुछ यूँ ही चल रही है,
खता किसकी थी कुछ पता ही नहीं है।
मिला ऐसा दर्द जिसकी दवा कुछ नहीं है,
कैसे भुलाएं वो पिछली सारी बातें,
साथ में उनके जो कटी सारी रातें,
अब तो बस उम्मीद की लौ जल रही है,
मेरी ज़िंदगी कुछ यूँ ही चल रही है।
बात करने की उनसे जैसे लत सी लगी है,
पर लगता है वो मेरी किस्मत में ही नही है।
नयनों से अश्रु ऐसे गिर रहे है,
आसमां से मानो मोती झर रहे है।
मेरे हर एक कतरे में वो मिल रही है ,
मेरी ज़िंदगी कुछ यूं ही चल रही है।
कैसे कहूँ उनसे मुझे यूँ न छोड़ो,
जहां है मतलबी तुम भी मुह न मोड़ो।
उनकी यादों को दिल से निकालूं तो कैसे,
उनके संग बीते दिन को भूलूँ तो कैसे।
हर सांस में उनकी खुशबू मिल रही है,
मेरी ज़िंदगी कुछ यूं ही चल रही है।
अभिषेक मिश्र -