Hindi Kavita
हिंदी कविता
"उनकी जद में आ गए"
होंठ पर कल रात उनके,
केश श्यामल आ गए।
वाकया दृष्टया प्रथम ,
हमसे ही वो शरमा गए।
कोशिशें अधरो से की,
पर आज बोला न गया।
सूफ सदियों से लिये वो,
हमको यूं पहना गए।
धुंधमय नजरों में उनकी ,
एक छाया मिल गई।
ज्यों नदी सागर में मिलती,
हम भी यूं ही खो गए।।
आज देखा पास उनको,
धड़कने भी रुक गई।
देख वो अधरों से फिर,
जुल्फें हटाने आ गए।।
है हकीकत या कि सपना,
छा गया आंखों में आज।
हम संभलते ही संभलते,
ज़द में उनके आ गए।।
अभिषेक मिश्र -