Hindi Kavita
हिंदी कविता
"नयनों से अश्रु कभी बहने न देंगे"
बहुत दिनों की बात है, बात है कुछ पुरानी,
छिपाना उनसे कुछ भी जैसे था बेईमानी,
याद आये वो तो आये आँखों में पानी।
माथे पर चमक थी और था चेहरे पर नूर,
वो थे रस में श्रृंगार, और हीरे में कोहिनूर।
दोस्ती पर अपने था दोनों को गुरुर,
खता फिर हमसे हुई कुछ जरूर।
धीरे-धीरे होने लगे फिर हमसे वो दूर,
जो भी थे ख्वाब हुए वो चकनाचूर।
पर शायद उस दिन थे हम भी मजबूर,
पर इतना तो उनसे कहेंगे जरूर।
बहुत कुछ तो हमसे लिखा न जाएगा,
दिल अपना दर्द शायद दिखा भी न पायेगा।
पर अब उन्हें कुछ भी सहने न देंगे,
नयनों से अश्रु कभी बहने न देंगे।।
अभिषेक मिश्र -