Hindi Kavita
हिंदी कविता
"हमारे न रहे"
खुशी भरे लम्हों के वो दिन,
खट्टी मीठी यादों के वो दिन,
कभी प्यार तो कभी तकरार,
किसकी लगी नजर कि,
खुशनुमा क्षणों के सितारे न रहे,
शायद अब वो हमारे न रहे।।
आते थे वो दौड़ कर ,
बस बात करने को हमसे,
सब कुछ भुलाकर,
बस मिलने को हमसे,
पर वक़्त के इस भँवर में
वो खूबसूरत नजारे न रहे,
शायद अब वो हमारे न रहे।।
वक़्त का इसे छल मान के,
स्वयं को बस समझाना है,
अंतर्मन की उत्कंठाओं को,
खुद के भीतर दफनाना है,
दुआ है यही खुदा से ,
गर्दिश में उनके सितारे न रहे,
शायद अब वो हमारे न रहे।।
मखमली से थे जो ख्वाब कई,
पर उनकी तो है अब ज़िन्दगी नई,
फिर भी बस एक दीदार को,
आंखे अपलक बैठी हैं,
हमें तो किसी के सहारे न रहे,
शायद अब वो हमारे न रहे।।
अभिषेक मिश्र -