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हिंदी कविता
In Dino - Kunwar Narayan
कुँवर नारायण की कविता संग्रह: इन दिनों - आना किन्तु इस तरह...
आना किन्तु इस तरह...
आना किन्तु इस तरह
कि अबकी पहचान में न आना
जैसे तुम नहीं
तुम्हारी जगह
एक धुंध
एक कुहासा
डूबते सूरज की धूसर रोशनी को ओढ़े हुए
आना जब कि समय बहुत कम हो
और अनंत पड़ा हो पाने को
मुझे बेहद जल्दी हो कहीं जाने की
और एक अजनबी रास्ता
बेताब हो मुझे ले जाने को
उस वक़्त आना ऐसे कि लगे
किसी ने द्वार खटखटाया
कोई न हो
पर लगे कि कोई आया
इतना आत्मीय
इतना अशरीर
जैसे हवा एक झोंका
और मुझमें समा कर निकल जाना
जैसे निकल गयी
एक पूरी उम्र
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