फूल सूँघे जाने क्या याद आ गया - अख़्तर अंसारी

Hindi Kavita

Hindi Kavita
हिंदी कविता

akhtar-ansari-ki-gazal

Akhtar Ansari ki Selected Gazal

फूल सूँघे जाने क्या याद आ गया - अख़्तर अंसारी

फूल सूँघे जाने क्या याद आ गया
दिल अजब अंदाज़ से लहरा गया

उस से पूछे कोई चाहत के मज़े
जिस ने चाहा और जो चाहा गया

एक लम्हा बन के ऐश-ए-जावेदाँ
मेरी सारी ज़िंदगी पर छा गया

ग़ुँचा-ए-दिल है कैसा ग़ुँचा था
जो खिला और खिलते ही मुरझा गया

रो रहा हूँ मौसम-ए-गुल देख कर
मैं समझता था मुझे सब्र आ गया

ये हवा ये बर्ग-ए-गुल का एहतिज़ाज़
आज मैं राज़-ए-मुसर्रत पा गया

अख़्तर अब बरसात रुख़्सत हो गई
अब हमारा रात का रोना गया
 

(getButton) #text=(Jane Mane Kavi) #icon=(link) #color=(#2339bd) (getButton) #text=(Hindi Kavita) #icon=(link) #color=(#2339bd) (getButton) #text=(Akhtar Ansari) #icon=(link) #color=(#2339bd)

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!