मेरे रुख़ से सुकूँ टपकता है - अख़्तर अंसारी
मेरे रुख़ से सुकूँ टपकता है
गुफ़्तुगू से जुनूँ टपकता है
मस्त हूँ मैं मेरी नज़र से भी
बाद-ए-लाला-गूँ टपकता है
हाँ कब ख़्वाब-ए-इश्क़ देखा था
अब तक आँखों से ख़ूँ टपकता है
आह अख़्तर मेरी हँसी से भी
मेरा हाल-ए-ज़ुबूँ टपकता है
(getButton) #text=(Jane Mane Kavi) #icon=(link) #color=(#2339bd) (getButton) #text=(Hindi Kavita) #icon=(link) #color=(#2339bd) (getButton) #text=(Akhtar Ansari) #icon=(link) #color=(#2339bd)