कुँवर नारायण की कविता संग्रह: कोई दूसरा नहीं - अद्यापि...

Hindi Kavita

Hindi Kavita
हिंदी कविता

Kunwar-Narayan-kavita

Apne Saamne - Kunwar Narayan

कुँवर नारायण की कविता संग्रह: कोई दूसरा नहीं - अद्यापि..

अद्यापि...
(संदर्भ : चौर-पंचाशिका)

आज भी
कदली के गहन झुरमुटों में
एक संकेत की प्रतीक्षा करता हुआ कवि
देखता है किसी अँधेरी शताब्दी में
तुम्हारा सौन्दर्य
एक दीये-सा जगमगाता है।

आज भी तुम्हारे कौमार्य का कंचन-वैभव
कड़े पहरों में
एक राजमहल की तरह
दूर से झिलमिलाता है।

आज भी
तुम्हारे यौवन के एक गुलाबी मौसम से उड़ कर
बेचैन कर जानेवाली हवाओं का
लड़खड़ाता झोंका
फूलों के रंगीन गवाक्षों से आता है।

आज भी
हमारी ढीठ वासनाओं के चोर-दरवाज़ों से होता हुआ
एक संकरा रास्ता
लुकता छिपता
तुम्हारे शयनकक्ष तक जाता है।

आज भी
नंगी पीठ से चिपकी तुम्हारी कामातुर हथेलियाँ
तुम्हारे बेसब्र समर्पण को स्वीकारता पौरुष
तुम्हें एक छन्‍द की तरह रचता
और एक उत्सव की तरह मनाता है।

आज भी
तुम एक गीत हो सूनी घाटियों में गूँजता हुआ
जो रात के तीसरे पहर
अपने पंखुरी-से ओंठों को कानों पर रख कर
धीरे से जगाता है।

आज भी
किसी प्राचीन अनुशासन की ऊँची अटारी पर क़ैद
राजकन्या-सा प्यार
एक सामान्य कवि को
स्वीकार करने का साहस दिखाता है।

आज भी
उसकी आँखें तुम्हें एक नींद की तरह सोतीं-
एक स्वप्न की तरह देखतीं-
एक याद की तरह जीती हुई रातों का
वह अन्तराल है
जो कभी नहीं भर पाता है।

आज भी
तुम्हारे साथ जी गई पचास रातों का एक वसंत
प्रतिवर्ष जीवन का कोना कोना
अपनी सम्पूर्ण कलाओं से भर जाता है।

आज भी
एक कवि काल को सम्मुख रख
कठोरतम राजाज्ञा की अन्तिम अवज्ञा में
'विद्या' और 'सुन्दर' की वर्जित प्रेमलीलाओं को
शब्दों की मनमानी ऋतुओं से सजाता है।

आज भी
एक दरबार का पराजित अहं
क्षमा का ढोंग रचता
और विजयी प्यार के सामने
अपना सिर झुकाता है।
 

(getButton) #text=(Jane Mane Kavi) #icon=(link) #color=(#2339bd) (getButton) #text=(Hindi Kavita) #icon=(link) #color=(#2339bd) (getButton) #text=(Kunwar Narayan) #icon=(link) #color=(#2339bd)

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!