Hindi Kavita
हिंदी कविता
Apne Saamne - Kunwar Narayan
कुँवर नारायण की कविता संग्रह: कोई दूसरा नहीं - वर्षों इसी तरह
वर्षों इसी तरह
कितनी सस्वर होती है
प्रतिवर्ष
ऋतुओं के साथ
एक वृक्ष की जीवनी में
उसकी उत्सवी बनावट
उसका आरोह और अवरोह
एक विराट आयोजन में
उसका अवसर के संग
लयात्मक जुड़ाव
वसन्त के साथ
विलम्बित में खिलती हुई
किसी लजाती डाल पर
कोपलों की धीमी-सी "अरे सुन...",
और देखते देखेते उसके आसपास
रंगों और सुरभि का द्रुत भराव,
मन्द से तीव्रतर होती हुई
अछोर चहल-पहल इच्छा-तरंगों की बढ़त
फिर क्रमश: पतझर के साथ
एक अनन्त उदासी से भरा
उसका जोगिया तराना
वर्षों इसी तरह
अथक लय विलय में
अन्तिम साँस तक जीवन-राग को
किसी तरह न टूटने देने की
उसकी पागल धुन!
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