Hindi Kavita
हिंदी कविता
Parivesh : Hum-Tum - Kunwar Narayan
कुँवर नारायण की कविता संग्रह: परिवेश : हम-तुम - उजले रंग
उजले रंग
सवेरे-सवेरे
कार्तिक की हँसमुख सुबह।
नदी-तट से लौटती गंगा नहा कर
सदा पावन
माँ सरीखी
अभी जैसे मंदिरों में चढ़ाकर ख़ुशरंग फूल
ठंड से सीत्कारती घर में घुसी हों,
और सोते देख मुझ को जगाती हों-
सिरहाने रख एक अंजलि फूल हरसिंगार के,
नर्म ठंडी उंगलियों से गाल छूकर प्यार से,
बाल बिखरे हुए तनिक सँवार के...
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