Hindi Kavita
हिंदी कविता
Teesra Saptak : Kunwar Narayan
कुँवर नारायण की कविता संग्रह: तीसरा सप्तक - टूटा तारा
टूटा तारा
तारा दीखा :
तम के अथाह में वह नन्हीं-सी ज्योति-शिखा
मन से कुछ नाता जोड़ गयी।
तारा चमका :
अजनबी पराई दुनिया से ममता आ कर
कुछ मोह हृदय में छोड़ गयी।
तारा टूटा :
आलोक-विमज्जित स्फुलिंग की वह दरार
सहसा छाती को तोड़ गयी।
ताग फूटा :
भू तक झपटी विहल चिनगी की दिव्य धार
तप के अलंघ्य को फोड़ गयी।
तारा खोया :
पर गति उस की मेरी भी जीवनगति सहसा
अज्ञात दिशा में मोड़ गयी।
(getButton) #text=(Jane Mane Kavi) #icon=(link) #color=(#2339bd) (getButton) #text=(Hindi Kavita) #icon=(link) #color=(#2339bd) (getButton) #text=(Kunwar Narayan) #icon=(link) #color=(#2339bd)