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Parivesh : Hum-Tum - Kunwar Narayan
कुँवर नारायण की कविता संग्रह: परिवेश : हम-तुम - शेष पूंजी
शेष पूंजी
तुमसे फिर मिल रहा हूँ;
तुम जैसे एक कथानक के पूर्व,
और मैं एक ट्रेजेडी के बाद।
जो कुछ संचित है
वह तुम नहीं,
तुम्हें अप्राप्य समझती हुई
मेरी पहली महत्त्वाकांक्षा है
जिसने जीवन को सिद्ध किया।
जिसका इतिहास
पत्थरों की ज़बानी
एक फटेहाल, नंगे सिर, छिले पाँव
नायक की कहानी है,
पक लम्बी यात्रा
जो वहीं समाप्त होती है जहाँ से शुरू!
जिसकी आँखें बहता पानी,
तट को छूकर अपने में डूब जाती
लहरों की तरंग-कथा...
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