कुँवर नारायण की कविता संग्रह: परिवेश : हम-तुम - रोज़ की तरह

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Parivesh : Hum-Tum - Kunwar Narayan

कुँवर नारायण की कविता संग्रह: परिवेश : हम-तुम - रोज़ की तरह

रोज़ की तरह
अशान्ति, धुआँ और बेबसी :
सिगरेट पीता हुआ आसमान,
उमड़ते बादलों के धुआँधार छल्ले
बेज़बान।
लाल, काले, नीले रंग घुले-मिले
तेज़ शराब की तरह
मेज़ पर लुढ़की हुई शाम में
धीरे-धीरे डूब गया दिन
औँधे मुँह
रात गए
कन्धे पर लाद
कोई कमरे में डाल गया
रोज़ की तरह
आज भी!
 

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