Hindi Kavita
हिंदी कविता
Apne Saamne - Kunwar Narayan
कुँवर नारायण की कविता संग्रह: अपने सामने - पहले भी आया हूँ
पहले भी आया हूँ
जैसे इन जगहों में पहले भी आया हूँ
बीता हूँ।
जैसे इन महलों में कोई आने को था
मन अपनी मनमानी खुशियां पाने को था।
इन बनती-मिटती छायायों में तड़पा हूँ
किया है इंतज़ार
दी हैं सदियां गुज़ार
बार-बार
इन खाली जगहों में भर-भर कर रीता हूँ
रह-रह पछताया हूँ
पहले भी आया हूँ
बीता हूँ।
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