कुँवर नारायण की कविता संग्रह: अपने सामने - लाउडस्‍पी

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Apne Saamne - Kunwar Narayan

कुँवर नारायण की कविता संग्रह: अपने सामने - लाउडस्‍पी

लाउडस्‍पी
करमुहल्‍ले के कुछ लोग लाउडस्‍पीकर पर
रात भर
कीर्तन-भजन करते रहे।
मुहल्‍ले के कुत्‍ते लड़ते-झगड़ते
रात भर
शांति-भंजन करते रहे।
मुझे ख़ुशी थी कि लोग भूंक नहीं रहे थे
(कीर्तन तो अच्‍छी चीज़ है)
और कुत्‍तों के सामने लाउडस्‍पीकर नहीं थे।
(गो कि भूंकना भी सच्‍ची चीज़ है।)
 

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