कुँवर नारायण की कविता संग्रह: परिवेश : हम-तुम - लकड़ी का टूटा पुल

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Parivesh : Hum-Tum - Kunwar Narayan

कुँवर नारायण की कविता संग्रह: परिवेश : हम-तुम - लकड़ी का टूटा पुल

लकड़ी का टूटा पुल
उस लकड़ी के टूटे पुल पर
इस तरह पड़ रही धूप-छांह
जैसे कोई प्यासा चीता
झरने में अगले पंजे रख पानी पीता!

छरहरा पवन
हरनों-सा भाग रहा चौतरफा डरा-डरा
मानो हिंसक जानवर नहीं,
मीलों तक उनका डर
उनका पीछा करता।
 

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