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हिंदी कविता
In Dino - Kunwar Narayan
कुँवर नारायण की कविता संग्रह: इन दिनों - क्राकाउ के चिड़ियाघर में अकेला हाथी
क्राकाउ के चिड़ियाघर में अकेला हाथी
वैसे तो वह एक शानदार
विदेशी चिड़ियाघर में रहता है
लेकिन बिल्कुल अकेला हो गया है इन दिनों
जब से उसकी हथिनी नहीं रही
दिन-दिन भर चक्कर लगाता रहता
पागलों की तरह अपने बाड़े में...
उत्सुकता होती कि जानूं
क्या कुछ चल रहा है उसके अन्दर-अन्दर।
उसकी गीली आँखों से लगता
कि वह एक कवि है,
सूंड से लगता कि वैज्ञानिक है,
माथे से लगता कि विचारक है,
कानों से लगता कि ज्ञानी है...
इतना ही होता
तो वह लिपिक होता महाभारत का...
लेकिन एक उदासी में डूबा
कितना मनुष्य लगता है
एक हाथी भी...
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