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हिंदी कविता
Parivesh : Hum-Tum - Kunwar Narayan
कुँवर नारायण की कविता संग्रह: परिवेश : हम-तुम - केवल प्रतीक्षा में
केवल प्रतीक्षा में
अब तुममें उसे नहीं जीना है
एकान्तिक शब्दों में प्यार जो व्यतीत हुआ।
अब शायद और नहीं पीना है
वह पीड़ा जिसका हर पागल क्षण
एक युग प्रतीत हुआ।
आँखों में तम सिमटे;
पौंवों में पथ लिपटे,
जिये बिना उम्र घटी,
चले बिना राह कटी।
कुछ खोया असमय कुछ यथासमय,
केवल प्रतीक्षा में-यह जीवन असह्य
जिसका सारा भविष्य
जैसे बिन बीते ही जीते जी अतीत हुआ!
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