कुँवर नारायण की कविता संग्रह: अपने सामने - एक अदद कविता

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Apne Saamne - Kunwar Narayan

कुँवर नारायण की कविता संग्रह: अपने सामने - एक अदद कविता

एक अदद कविता
जैसे एक जंगली फूल की आकस्मिकता
मुझमें कौंधकर मुझसे अलग हो गई हो कविता

और मैं छूट गया हूं कहीं
जहन्‍नुम के ख़िलाफ़
एक अदद जुलूस
एक अदद हड़ताल
एक अदद नारा
एक अदद वोट
और अपने को अपने ही
देश की जेब में सम्‍भाले
एक अवमूल्यित नोट
सोचता हुआ कि प्रभो
अब कौन किसे किस-किसके नरक से निकाले
 

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