कुँवर नारायण की कविता संग्रह: चतुर्थ खंड : चक्रव्यूह - वरासत

Hindi Kavita

Hindi Kavita
हिंदी कविता

Kunwar-Narayan-kavita

Chakravyuh : Kunwar Narayan

कुँवर नारायण की कविता संग्रह: चक्रव्यूह - वरासत

चतुर्थ खंड : चक्रव्यूह
वरासत
कौन कब तक बन सकेगा कवच मेरा?
युद्ध मेरा, मुझे लड़ना
इस महाजीवन समर में अन्त तक कटि-बद्ध :
मेरे ही लिए वह व्यूह घेरा,
मुझे हर आघात सहना,
गर्भ-निश्चित मैं नया अभिमन्यु पैतृक-युद्ध!
 

(getButton) #text=(Jane Mane Kavi) #icon=(link) #color=(#2339bd) (getButton) #text=(Hindi Kavita) #icon=(link) #color=(#2339bd) (getButton) #text=(Kunwar Narayan) #icon=(link) #color=(#2339bd)

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!