चतुर्थ खंड : चक्रव्यूह
वरासत
कौन कब तक बन सकेगा कवच मेरा?
इस महाजीवन समर में अन्त तक कटि-बद्ध :
मेरे ही लिए वह व्यूह घेरा,
मुझे हर आघात सहना,
गर्भ-निश्चित मैं नया अभिमन्यु पैतृक-युद्ध!
(getButton) #text=(Jane Mane Kavi) #icon=(link) #color=(#2339bd) (getButton) #text=(Hindi Kavita) #icon=(link) #color=(#2339bd) (getButton) #text=(Kunwar Narayan) #icon=(link) #color=(#2339bd)