कुँवर नारायण की कविता संग्रह: परिवेश : हम-तुम - बहार आई है

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Parivesh : Hum-Tum - Kunwar Narayan

कुँवर नारायण की कविता संग्रह: परिवेश : हम-तुम - बहार आई है

बहार आई है
ये जंगली फूल जो हर साल
हल्ला बोल कर शहर में घुस आते हैं
और राह चलते, आते-जाते लोगों को
बेशर्मी से घूरते, फुसलाते हैं-

क्या इन्हें मालूम नहीं
कि शहरों में इसकी सख्त मनाही है
कि कोई किसी से बिना जान-पहिचान बोले
और कहे कि देखो, बहार आई है!
 

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