Hindi Kavita
हिंदी कविता
Parivesh : Hum-Tum - Kunwar Narayan
कुँवर नारायण की कविता संग्रह: परिवेश : हम-तुम - अशेष
अशेष
आहत। प्रेमी। शिशु-
संसार एक स्तन जो नहीं मिला।
मेरी अशेष इच्छा में
तुम और मैं
एक स्मृति
एक गान
एक दूरी,
मिट रहे चेहरे पर उस चिर-चाहे रूप को
आज भी चूम लेने को जी चाहता है।
लेकिन
अब हम सुरक्षित हैं
एक दूसरे की वासना से
एक दूसरे को बचा कर,
एक दूसरे के बिना रोशनी बिता कर
शाम की सुन्न बेहोशी में
ज़िन्दा-
बचे हुए-
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