कुँवर नारायण की कविता संग्रह: अपने सामने - अनात्मा देह (फतेहपुर सीकरी)

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Apne Saamne - Kunwar Narayan

कुँवर नारायण की कविता संग्रह: अपने सामने - अनात्मा देह (फतेहपुर सीकरी)

अनात्मा देह (फतेहपुर सीकरी)
इन परछाइयों के अलावा भी कोई साथ है।
सीढ़ियों पर चढ़ते हुए लगता है
कि वहाँ कोई है, जहाँ पहुँचूँगा।

मुंडेरों के कन्धे हिलते हैं,
झरोखे झाँकते हैं,
दीवारें सुनती हैं,
मेहराबें जमुहाई लेती,
गुम्बद, ताज़ियों के गुम्बद की तरह
हवा में कांपते हैं।

तालाब के सेवार-वन में जल की परछाईयां चंचल हैं,
हरी काई के कालीन पर एक अनात्मा देह लेटी है
और मीनारें चाहती हैं
कि लुढ़ककर उसके उरोजों को चूम लें।
 

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