चीर कर सीने को रख दे गर न पाए - अख़्तर अंसारी
चीर कर सीने को रख दे गर न पाए ग़म-गुसार
दिल की बातें दिल ही से कोई यहाँ कब तक करे
मुबतला-ए-दर्द होने की ये लज़्ज़त देखिये
क़िस्सा-ए-ग़म हो किसी का दिल मेरा धक धक करे
सब की क़िस्मत इक न इक दिन जागती है हाँ बजा
ज़िंदगी क्यूँ कर गुज़ारे वो जो इस में शक करे
(getButton) #text=(Jane Mane Kavi) #icon=(link) #color=(#2339bd) (getButton) #text=(Hindi Kavita) #icon=(link) #color=(#2339bd) (getButton) #text=(Akhtar Ansari) #icon=(link) #color=(#2339bd)