Akhtar Ansari ka Jivan Parichay

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Akhtar Ansari ka Jivan Parichay | अख़्तर अंसारी का जीवन परिचय  

अख्तर अंसारी (1 अक्टूबर 1909 - 05 अक्टूबर 1988) का जन्म बदायूं में हुआ था। अख़्तर अंसारी शुरू से ही शिक्षा के प्रति लगाव था उन्होंने एंग्लो अरबी स्कूल में शिक्षा प्राप्त की। दिल्ली विश्वविद्यालय से बीए और बी.टी. अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की।1947 में उर्दू में एमए फिर कुछ समय तक उर्दू विभाग में लेक्चरर रहे और बाद में ट्रेनिंग कॉलेज में नौकरी मिल गई। 

अख्तर अंसारी प्रगतिवादी विचारधारा के महत्वपूर्ण शायर और आलोचक थे। 
अख्तर अंसारी उनकी शायरी, आलोचना और अफ़साने उसी संघर्ष की उद्घोषणा हैं। 

  • नग़म-ए-रूह
  • आबगीने
  • टेढ़ी ज़मीन
  • सरवरे जाँ (शायरी)
  • अंधी दुनिया और दूसरे अफ़साने
  • नाज़ो और दूसरे अफ़साने (अफ़साने)
  • हाली और नया तन्कीदी शुऊर
  • इफ़ादी अदब (आलोचना)


अख्तर अंसार की चुनिंदा ग़ज़ल

साफ़ ज़ाहिर है निगाहों से कि हम मरते हैं - अख़्तर अंसारी

वो इत्तेफ़ाक़ से रस्ते में मिल गया था मुझे - अख़्तर अंसारी

आईना-ए-निगाह में अक्स-ए-शबाब है - अख़्तर अंसारी

आफ़तों में घिर गया हूँ ज़ीस्त से बे-ज़ार हूँ - अख़्तर अंसारी

आरज़ू को रूह में ग़म बन के रहना आ गया - अख़्तर अंसारी

अब वो सीना है मज़ार-ए-आरज़ू - अख़्तर अंसारी

अपनी उजड़ी हुई दुनिया की कहानी हूँ मैं - अख़्तर अंसारी

चीर कर सीने को रख दे गर न पाए - अख़्तर अंसारी

दिल के अरमान दिल को छोड़ गए - अख़्तर अंसारी

दिल-ए-फ़सुर्दा में कुछ सोज़ ओ साज़ बाक़ी है - अख़्तर अंसारी

दिन मुरादों के ऐश की रातें - अख़्तर अंसारी

ग़म-ए-हयात कहानी है क़िस्सा-ख़्वाँ हूँ मैं - अख़्तर अंसारी

ग़म-ज़दा हैं मुबतला-ए-दर्द हैं ना-शाद हैं - अख़्तर अंसारी

हर वक़्त नौहा-ख़्वाँ सी रहती हैं मेरी आँखें - अख़्तर अंसारी

हयात इंसाँ की सर ता पा ज़बाँ मालूम होती है - अख़्तर अंसारी

ख़्वाहिश-ए-ऐश नहीं दर्द-ए-निहानी की क़सम - अख़्तर अंसारी

क्या ख़बर थी इक बला-ए-ना-गहानी आएगी - अख़्तर अंसारी

मैं दिल को चीर के रख दूँ ये एक सूरत है - अख़्तर अंसारी

मेरे रुख़ से सुकूँ टपकता है - अख़्तर अंसारी

मोहब्बत है अज़ीयत है हुजूम-ए-यास-ओ-हसरत है - अख़्तर अंसारी

मोहब्बत करने वालों के बहार-अफ़रोज़ सीनों में - अख़्तर अंसारी

फूल सूँघे जाने क्या याद आ गया - अख़्तर अंसारी

क़सम इन आँखों की जिन से लहू टपकता है - अख़्तर अंसारी

समझता हूँ मैं सब कुछ - अख़्तर अंसारी

सरशार हूँ छलकते हुए जाम की क़सम - अख़्तर अंसारी

सुनने वाले फ़साना तेरा है - अख़्तर अंसारी

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