Hindi Ghazal Collection

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हिंदी कविता

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हिंदी कविता में आपके लिए ग़ज़ल का कलेक्शन ले कर आये है।  दिल की बात दिल तक पहुंचने मे ग़ज़ल का मुकम्मल स्थान हासिल है। हिंदी सिनेमा जगत हो या कोई रंगमंच ग़ज़ल का अपना ख़ास मुक़ाम है विश्व मे ऐसे महान ग़ज़लकार है जिन्होंने अपनी ग़ज़ल से दर्शको का दिल जीत लिया है , यह युग हो या आने वाला, ग़ज़ल हमेशा लोगो की पहली पसंद बानी रहेगीयहाँ हम आपके लिए प्रमुख ग़ज़लकार व ग़ज़ल गायक की प्रमुख ग़ज़ल प्रस्तुत कर रहे है। 


 

Sahir Ludhianvi - Selected Gazals

अब आएँ या न आएँ इधर पूछते चलो/ ग़ज़ल/Sahir Ludhianvi

खअब कोई गुलशन न उजड़े अब वतन आज़ाद है/ग़ज़ल/Sahir Ludhianvi

अक़ाएद वहम हैं मज़हब ख़याल-ए-ख़ाम है साक़ी/ग़ज़ल/Sahir Ludhianvi

अपना दिल पेश करूँ अपनी वफ़ा पेश करूँ /ग़ज़ल/Sahir Ludhianvi

अहल-ए-दिल और भी हैं अहल-ए-वफ़ा और भी हैं/ग़ज़ल/Sahir Ludhianvi

इतनी हसीन इतनी जवाँ रात क्या करें/ग़ज़ल/Sahir Ludhianvi

इस तरफ़ से गुज़रे थे क़ाफ़िले बहारों के /ग़ज़ल/Sahir Ludhianvi

कभी ख़ुद पे कभी हालात पे रोना आया/ग़ज़ल/Sahir Ludhianvi

क्या जानें तिरी उम्मत किस हाल को पहुँचेगी/ग़ज़ल/Sahir Ludhianvi

ख़ुद्दारियों के ख़ून को अर्ज़ां न कर सके/ग़ज़ल/Sahir Ludhianvi

गुलशन गुलशन फूल /ग़ज़ल/Sahir Ludhianvi

गो मसलक-ए-तस्लीम-ओ-रज़ा भी है कोई चीज़/ग़ज़ल/Sahir Ludhianvi

चेहरे पे ख़ुशी छा जाती है आँखों में सुरूर आ जाता है/ग़ज़ल/Sahir Ludhianvi

जब कभी उन की तवज्जोह में कमी पाई गई/ग़ज़ल/Sahir Ludhianvi

जुर्म-ए-उल्फ़त पे हमें लोग सज़ा देते हैं/ग़ज़ल/Sahir Ludhianvi

जो लुत्फ़-ए-मय-कशी है निगारों में आएगा/ग़ज़ल/Sahir Ludhianvi

तरब-ज़ारों पे क्या बीती सनम-ख़ानों पे क्या गुज़री/ग़ज़ल/Sahir Ludhianvi

तंग आ चुके हैं कशमकश-ए-ज़िंदगी से हम/ग़ज़ल/Sahir Ludhianvi

तिरी दुनिया में जीने से तो बेहतर है कि मर जाएँ/ग़ज़ल/Sahir Ludhianvi

तुम अपना रंज-ओ-ग़म अपनी परेशानी मुझे दे दो/ग़ज़ल/Sahir Ludhianvi

तोड़ लेंगे हर इक शय से रिश्ता तोड़ देने की नौबत तो आए/ग़ज़ल/Sahir Ludhianvi

दूर रह कर न करो बात क़रीब आ जाओ/ग़ज़ल/Sahir Ludhianvi

देखा तो था यूँही किसी ग़फ़लत-शिआर ने/ग़ज़ल/Sahir Ludhianvi

देखा है ज़िंदगी को कुछ इतने क़रीब से/ग़ज़ल/Sahir Ludhianvi

न तो ज़मीं के लिए है न आसमाँ के लिए /ग़ज़ल/Sahir Ludhianvi

नफ़स के लोच में रम ही नहीं कुछ और भी है/ग़ज़ल/Sahir Ludhianvi

पर्बतों के पेड़ों पर शाम का बसेरा है/ग़ज़ल/Sahir Ludhianvi

पोंछ कर अश्क अपनी आँखों से मुस्कुराओ तो कोई बात बने/ग़ज़ल/Sahir Ludhianvi

फ़न जो नादार तक नहीं पहुँचा/ग़ज़ल/Sahir Ludhianvi

बरबाद-ए-मोहब्बत की दुआ साथ लिए जा/ग़ज़ल/Sahir Ludhianvi

बहुत घुटन है कोई सूरत-ए-बयाँ निकले/ग़ज़ल/Sahir Ludhianvi

बुझा दिए हैं ख़ुद अपने हाथों मोहब्बतों के दिए जला के/ग़ज़ल/Sahir Ludhianvi

भड़का रहे हैं आग लब-ए-नग़्मागर से हम/ग़ज़ल/Sahir Ludhianvi

भूले से मोहब्बत कर बैठा, नादाँ था बेचारा, दिल ही तो है/ग़ज़ल/Sahir Ludhianvi

मिलती है ज़िंदगी में मोहब्बत कभी कभी /ग़ज़ल/Sahir Ludhianvi

मेरी तक़दीर में जलना है तो जल जाऊँगा/ग़ज़ल/Sahir Ludhianvi

मैं ज़िंदगी का साथ निभाता चला गया/ग़ज़ल/Sahir Ludhianvi

मैं ज़िंदा हूँ ये मुश्तहर कीजिए/ग़ज़ल/Sahir Ludhianvi

मोहब्बत तर्क की मैं ने गरेबाँ सी लिया मैं ने/ग़ज़ल/Sahir Ludhianvi

ये ज़मीं किस क़दर सजाई गई/ग़ज़ल/Sahir Ludhianvi

ये ज़ुल्फ़ अगर खुल के बिखर जाए तो अच्छा/ग़ज़ल/Sahir Ludhianvi

ये वादियाँ ये फ़ज़ाएँ बुला रही हैं तुम्हें/ग़ज़ल/Sahir Ludhianvi

लब पे पाबंदी तो है एहसास पर पहरा तो है/ग़ज़ल/Sahir Ludhianvi

शर्मा के यूँ न देख अदा के मक़ाम से/ग़ज़ल/Sahir Ludhianvi

सज़ा का हाल सुनाएँ जज़ा की बात करें/ग़ज़ल/Sahir Ludhianvi

सदियों से इंसान ये सुनता आया है/ग़ज़ल/Sahir Ludhianvi

संसार की हर शय का इतना ही फ़साना है/ग़ज़ल/Sahir Ludhianvi

संसार से भागे फिरते हो भगवान को तुम क्या पाओगे/ग़ज़ल/Sahir Ludhianvi

हवस-नसीब नज़र को कहीं क़रार नहीं/ग़ज़ल/Sahir Ludhianvi

हर क़दम मरहला-दार-ओ-सलीब आज भी है/ग़ज़ल/Sahir Ludhianvi

हर-चंद मिरी क़ुव्वत-ए-गुफ़्तार है महबूस/ग़ज़ल/Sahir Ludhianvi

हर तरह के जज़्बात का एलान हैं आँखें/ग़ज़ल/Sahir Ludhianvi

Brij Narayan Chakbast - Selected Gazals

अगर दर्द-ए-मोहब्बत से न इंसाँ आश्ना होता - Brij Narayan Chakbast

उन्हें ये फ़िक्र है हर दम नई तर्ज़-ए-जफ़ा क्या है - Brij Narayan Chakbast

कभी था नाज़ ज़माने को अपने हिन्द पे भी - Brij Narayan Chakbast

कुछ ऐसा पास-ए-ग़ैरत उठ गया इस अहद-ए-पुर-फ़न में - Brij Narayan Chakbast

ज़बाँ को बंद करें या मुझे असीर करें - Brij Narayan Chakbast

दर्द-ए-दिल पास-ए-वफ़ा जज़्बा-ए-ईमाँ होना - Brij Narayan Chakbast

दिल किए तस्ख़ीर बख़्शा फ़ैज़-ए-रूहानी मुझे - Brij Narayan Chakbast

नए झगड़े निराली काविशें ईजाद करते हैं - Brij Narayan Chakbast

न कोई दोस्त दुश्मन हो शरीक-ए-दर्द-ओ-ग़म मेरा - Brij Narayan Chakbast

फ़ना का होश आना ज़िंदगी का दर्द-ए-सर जाना - Brij Narayan Chakbast

फ़ना नहीं है मुहब्बत के रंगो बू के लिए - Brij Narayan Chakbast

मिटने वालों को वफ़ा का यह सबक याद रहे - Brij Narayan Chakbast

मिरी बे-ख़ुदी है वो बे-ख़ुदी कि ख़ुदी का वहम-ओ-गुमाँ नहीं - Brij Narayan Chakbast

हम सोचते हैं रात में तारों को देख कर - Brij Narayan Chakbast

जहाँ में आँख जो खोली फ़ना को भूल गये - Brij Narayan Chakbast

Jaan Nisar Akhtar - Selected Gazal

दिल को हर लम्हा बचाते रहे जज़्बात से हम - Jaan Nisar Akhtar

जिस्म की हर बात है आवारगी ये मत कहो - Jaan Nisar Akhtar

एक है ज़मीन तो सम्त क्या हदूद क्या - Jaan Nisar Akhtar

तुम्हारे हुस्न को हुस्न-ए-फ़रोज़ाँ हम नहीं कहते - Jaan Nisar Akhtar

आए क्या क्या याद नज़र जब पड़ती इन दालानों पर - Jaan Nisar Akhtar

तू इस क़दर मुझे अपने क़रीब लगता है - Jaan Nisar Akhtar

तुम पे क्या बीत गई कुछ तो बताओ यारो - Jaan Nisar Akhtar

वो हम से आज भी दामन-कशाँ चले है मियाँ - Jaan Nisar Akhtar

माना कि रंग रंग तिरा पैरहन भी है - Jaan Nisar Akhtar

लाख आवारा सही शहरों के फ़ुटपाथों पे हम - Jaan Nisar Akhtar

आहट सी कोई आए तो लगता है कि तुम हो - Jaan Nisar Akhtar

तमाम उम्र अज़ाबों का सिलसिला तो रहा - Jaan Nisar Akhtar

मुझे मालूम है मैं सारी दुनिया की अमानत हूँ - Jaan Nisar Akhtar

ज़िंदगी तुझ को भुलाया है बहुत दिन हम ने - Jaan Nisar Akhtar

सौ चाँद भी चमकेंगे तो क्या बात बनेगी - Jaan Nisar Akhtar

हम से भागा न करो दूर ग़ज़ालों की तरह - Jaan Nisar Akhtar

तुलू-ए-सुब्ह है नज़रें उठा के देख ज़रा - Jaan Nisar Akhtar

अच्छा है उन से कोई तक़ाज़ा किया न जाए - Jaan Nisar Akhtar

आँखें चुरा के हम से बहार आए ये नहीं - Jaan Nisar Akhtar

मौज-ए-गुल मौज-ए-सबा मौज-ए-सहर लगती है - Jaan Nisar Akhtar

ख़ाक-ए-दिल - Jaan Nisar Akhtar

तजज़िया - Jaan Nisar Akhtar

ज़िन्दगी तनहा सफ़र की रात है - Jaan Nisar Akhtar

जल गया अपना नशेमन तो कोई बात नहीं - Jaan Nisar Akhtar

हर एक रूह में एक ग़म छुपा लगे है मुझे - Jaan Nisar Akhtar

आज मुद्दत में वो याद आये हैं - Jaan Nisar Akhtar

आहट सी कोई आए तो लगता है कि तुम हो - Jaan Nisar Akhtar

वो लोग ही हर दौर में महबूब रहे हैं - Jaan Nisar Akhtar

मौजे गुल, मौजे सबा, मौजे सहर लगती हैं - Jaan Nisar Akhtar

हम से भागा न करो दूर गज़ालों की तरह - Jaan Nisar Akhtar

एक तो नैनां कजरारे और तिस पर डूबे काजल में - Jaan Nisar Akhtar

ज़रा सी बात पे हर रस्म तोड़ आया था - Jaan Nisar Akhtar

जब लगे ज़ख़्म तो क़ातिल को दुआ दी जाये - Jaan Nisar Akhtar

हमने काटी हैं तिरी याद में रातें अक़्सर - Jaan Nisar Akhtar

फुर्सत-ए-कार फ़क़त चार घड़ी है यारो - Jaan Nisar Akhtar

अश्आर मिरे यूँ तो ज़माने के लिए हैं - Jaan Nisar Akhtar

रही है दाद तलब उनकी शोख़ियाँ हमसे - Jaan Nisar Akhtar

ज़िन्दगी ये तो नहीं, तुझको सँवारा ही न हो - Jaan Nisar Akhtar

ज़माना आज नहीं डगमगा के चलने का - Jaan Nisar Akhtar

चौंक चौंक उठती है महलों की फ़ज़ा रात गए - Jaan Nisar Akhtar

आए क्या क्या याद नज़र जब पड़ती इन दालानों पर - Jaan Nisar Akhtar

ज़ुल्फ़ें सीना नाफ़ कमर - Jaan Nisar Akhtar

इसी सबब से हैं शायद, अज़ाब जितने हैं - Jaan Nisar Akhtar

उफ़ुक़ अगरचे पिघलता दिखाई पड़ता है - Jaan Nisar Akhtar

तू इस क़दर मुझे अपने क़रीब लगता है - Jaan Nisar Akhtar

हर एक शख़्स परेशान-ओ-दर-बदर सा लगे - Jaan Nisar Akhtar

रुखों के चांद, लबों के गुलाब मांगे है - Jaan Nisar Akhtar

बहुत दिल कर के होंटों की शगुफ़्ता ताज़गी दी है - Jaan Nisar Akhtar

कौन कहता है तुझे मैंने भुला रक्खा है - Jaan Nisar Akhtar

दीदा ओ दिल में कोई हुस्न बिखरता ही रहा - Jaan Nisar Akhtar

मुद्दत हुई उस जान-ए-हया ने हम से ये इक़रार किया - Jaan Nisar Akhtar

Gopal Das Neeraj - Selected Ghazals

तमाम उम्र मैं इक अजनबी के घर में रहा - Gopal Das Neeraj

हम तेरी चाह में, ऐ यार ! वहाँ तक पहुँचे - Gopal Das Neeraj

अब तो मज़हब कोई ऐसा भी चलाया जाए - Gopal Das Neeraj

दूर से दूर तलक एक भी दरख्त न था - Gopal Das Neeraj

गुमनामियों मे रहना, नहीं है कबूल मुझको - Gopal Das Neeraj

है बहुत अंधियार अब सूरज निकलना चाहिए - Gopal Das Neeraj

अब के सावन में शरारत ये मेरे साथ हुई - Gopal Das Neeraj

जब चले जाएंगे लौट के सावन की तरह - Gopal Das Neeraj

जितना कम सामान रहेगा - Gopal Das Neeraj

खुशबू सी आ रही है इधर ज़ाफ़रान की - Gopal Das Neeraj

एक जुग ब'अद शब-ए-ग़म की सहर देखी है - Gopal Das Neeraj

जब भी इस शहर में कमरे से मैं बाहर निकला - Gopal Das Neeraj

बदन पे जिसके शराफ़त का पैरहन देखा - Gopal Das Neeraj

गगन बजाने लगा जल-तरंग फिर यारो - Gopal Das Neeraj

Nida Fazli - Selected Ghazal

अच्छी नहीं ये ख़ामुशी शिकवा करो गिला करो - Nida Fazli

अपना ग़म लेके कहीं और न जाया जाये - Nida Fazli

अपनी मर्ज़ी से कहाँ अपने सफ़र के हम हैं - Nida Fazli

अब खुशी है न कोई ग़म रुलाने वाला - Nida Fazli

आएगा कोई चल के ख़िज़ाँ से बहार में - Nida Fazli

आज ज़रा फ़ुर्सत पाई थी आज उसे फिर याद किया - Nida Fazli

आनी जानी हर मोहब्बत है चलो यूँ ही सही - Nida Fazli

इंसान हैं हैवान यहाँ भी है वहाँ भी - Nida Fazli

उठ के कपड़े बदल घर से बाहर निकल जो हुआ सो हुआ - Nida Fazli

उस के दुश्मन हैं बहुत आदमी अच्छा होगा - Nida Fazli

उस को खो देने का एहसास तो कम बाक़ी है - Nida Fazli

एक ही धरती हम सब का घर जितना तेरा उतना मेरा - Nida Fazli

कच्चे बख़िये की तरह रिश्ते उधड़ जाते हैं - Nida Fazli

कठ-पुतली है या जीवन है जीते जाओ सोचो मत - Nida Fazli

कभी कभी यूँ भी हम ने अपने जी को बहलाया है - Nida Fazli

कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता - Nida Fazli

कभी बादल, कभी कश्ती, कभी गर्दाब लगे - Nida Fazli

कहीं छत थी दीवार-ओ-दर थे कहीं - Nida Fazli

काला अम्बर पीली धरती या अल्लाह - Nida Fazli

किसी भी शहर में जाओ कहीं क़याम करो - Nida Fazli

किसी से ख़ुश है किसी से ख़फ़ा ख़फ़ा सा है - Nida Fazli

कुछ तबीअ'त ही मिली थी ऐसी - Nida Fazli

कुछ दिनों तो शहर सारा अजनबी सा हो गया - Nida Fazli

कुछ भी बचा न कहने को हर बात हो गई - Nida Fazli

कोई किसी की तरफ़ है कोई किसी की तरफ़ - Nida Fazli

कोई किसी से ख़ुश हो और वो भी बारहा हो - Nida Fazli

कोई नहीं है आने वाला फिर भी कोई आने को है - Nida Fazli

कोई हिन्दू कोई मुस्लिम कोई ईसाई है - Nida Fazli

कोशिश के बावजूद ये इल्ज़ाम रह गया - Nida Fazli

गरज-बरस प्यासी धरती पर फिर पानी दे मौला - Nida Fazli

गिरजा में मंदिरों में अज़ानों में बट गया - Nida Fazli

घर से निकले तो हो सोचा भी किधर जाओगे - Nida Fazli

चाँद से फूल से या मेरी ज़बाँ से सुनिए - Nida Fazli

चाहतें मौसमी परिंदे हैं रुत बदलते ही लौट जाते हैं - Nida Fazli

जब किसी से कोई गिला रखना - Nida Fazli

जब भी किसी ने ख़ुद को सदा दी - Nida Fazli

जब से क़रीब हो के चले ज़िंदगी से हम - Nida Fazli

जहाँ न तेरी महक हो उधर न जाऊँ मैं - Nida Fazli

जाने वालों से राब्ता रखना - Nida Fazli

जितनी बुरी कही जाती है उतनी बुरी नहीं है दुनिया - Nida Fazli

जिसे देखते ही ख़ुमारी लगे - Nida Fazli

जो भला है उसे बुरा मत कर - Nida Fazli

जो हो इक बार वो हर बार हो ऐसा नहीं होता - Nida Fazli

ज़मीं दी है तो थोड़ा सा आसमाँ भी दे - Nida Fazli

ज़िहानतों को कहाँ कर्ब से फ़रार मिला - Nida Fazli

ठहरे जो कहीं आँख तमाशा नज़र आए - Nida Fazli

तन्हा तन्हा दुख झेलेंगे महफ़िल महफ़िल गाएँगे - Nida Fazli

तन्हा हुए ख़राब हुए आइना हुए - Nida Fazli

तलाश कर न ज़मीं आसमान से बाहर - Nida Fazli

तुम ये कैसे जुदा हो गये - Nida Fazli

तू क़रीब आए तो क़ुर्बत का यूँ इज़हार करूँ - Nida Fazli

तेरा सच है तिरे अज़ाबों में - Nida Fazli

तेरा हिज्र मेरा नसीब है तेरा ग़म ही मेरी हयात है - Nida Fazli

दरिया हो या पहाड़ हो टकराना चाहिए - Nida Fazli

दिन सलीक़े से उगा रात ठिकाने से रही - Nida Fazli

दिल में न हो जुरअत तो मोहब्बत नहीं मिलती - Nida Fazli

दीवार-ओ-दर से उतर के परछाइयाँ बोलती हैं - Nida Fazli

दुआ सलाम में लिपटी ज़रूरतें माँगे - Nida Fazli

दुख में नीर बहा देते थे सुख में हँसने लगते थे - Nida Fazli

दुनिया जिसे कहते हैं जादू का खिलौना है - Nida Fazli

देखा हुआ सा कुछ है तो सोचा हुआ सा कुछ - Nida Fazli

दो चार गाम राह को हमवार देखना - Nida Fazli

धूप में निकलो घटाओं में नहा कर देखो - Nida Fazli

नई नई आँखें हों तो हर मंज़र अच्छा लगता है - Nida Fazli

न जाने कौन सा मंज़र नज़र में रहता है - Nida Fazli

नज़दीकियों में दूर का मंज़र तलाश कर - Nida Fazli

नयी-नयी पोशाक बदलकर, मौसम आते-जाते हैं - Nida Fazli

नशा नशे के लिए है अज़ाब में शामिल - Nida Fazli

नील-गगन में तैर रहा है उजला उजला पूरा चाँद - Nida Fazli

फिर गोया हुई शाम परिंदों की ज़बानी - Nida Fazli

बदला न अपने आपको जो थे वही रहे - Nida Fazli

बात कम कीजे ज़ेहानत को छुपाए रहिए - Nida Fazli

बिंदराबन के कृष्ण-कन्हैया अल्लाह-हू - Nida Fazli

बे-नाम सा ये दर्द ठहर क्यूँ नहीं जाता - Nida Fazli

बेसन की सौंधी रोटी पर खट्टी चटनी जैसी माँ - Nida Fazli

मन बै-रागी तन अनूरागी क़दम क़दम दुश्वारी है - Nida Fazli

मुट्ठी भर लोगों के हाथों में लाखों की तक़दीरें हैं - Nida Fazli

मुँह की बात सुने हर कोई दिल के दर्द को जाने कौन - Nida Fazli

मेरी तेरी दूरियाँ हैं अब इबादत के ख़िलाफ़ - Nida Fazli

मैं अपने इख़्तियार में हूँ भी नहीं भी हूँ - Nida Fazli

मोहब्बत में वफ़ादारी से बचिए - Nida Fazli

यक़ीन चाँद पे सूरज में ए'तिबार भी रख - Nida Fazli

यूँ लग रहा है जैसे कोई आस-पास है - Nida Fazli

ये कैसी कश्मकश है ज़िंदगी में - Nida Fazli

ये जो फैला हुआ ज़माना है - Nida Fazli

ये दिल कुटिया है संतों की यहाँ राजा भिकारी क्या - Nida Fazli

ये न पूछो कि वाक़िआ' क्या है - Nida Fazli

रात के बा'द नए दिन की सहर आएगी - Nida Fazli

राक्षस था न ख़ुदा था पहले - Nida Fazli

वक़्त बंजारा-सिफ़त लम्हा ब लम्हा अपना - Nida Fazli

वो ख़ुश-लिबास भी ख़ुश-दिल भी ख़ुश-अदा भी है - Nida Fazli

सफ़र को जब भी किसी दास्तान में रखना - Nida Fazli

सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो - Nida Fazli

हर इक रस्ता अँधेरों में घिरा है - Nida Fazli

हर एक घर में दिया भी जले अनाज भी हो - Nida Fazli

हर एक बात को चुप-चाप क्यूँ सुना जाए - Nida Fazli

हर घड़ी ख़ुद से उलझना है मुक़द्दर मेरा - Nida Fazli

हर चमकती क़ुर्बत में एक फ़ासला देखूँ - Nida Fazli

हर तरफ़ हर जगह बे-शुमार आदमी - Nida Fazli

हुए सब के जहाँ में एक जब अपना जहाँ और हम - Nida Fazli

होश वालों को ख़बर क्या बे-ख़ुदी क्या चीज़ है - Nida Fazli

Firaq Gorakhpuri - Selected Gazal

आँखों में जो बात हो गई है - Firaq Gorakhpuri

ये सुरमई फ़ज़ाओं की कुछ कुनमुनाहटें - Firaq Gorakhpuri

है अभी महताब बाक़ी और बाक़ी है शराब - Firaq Gorakhpuri

दीदनी है नरगिसे-ख़ामोश का तर्ज़े-ख़िताब - Firaq Gorakhpuri

रात भी नींद भी, कहानी भी - Firaq Gorakhpuri

एक शबे-ग़म वो भी थी जिसमें जी भर आये तो अश्क़ बहायें - Firaq Gorakhpuri

बन्दगी से कभी नहीं मिलती - Firaq Gorakhpuri

बे ठिकाने है दिले-ग़मगीं ठिकाने की कहो - Firaq Gorakhpuri

उजाड़ बन के कुछ आसार से चमन में मिले - Firaq Gorakhpuri

वो आँख जबान हो गई है - Firaq Gorakhpuri

हाल सुना फ़सानागो, लब की फ़ुसूँगरी के भी - Firaq Gorakhpuri

ज़मी बदली, फ़लक बदला, मज़ाके-ज़िन्दगी बदला - Firaq Gorakhpuri

निगाहों में वो हल कई मसायले-हयात के - Firaq Gorakhpuri

ये सबाहत की ज़ौ महचकां - Firaq Gorakhpuri

ज़हे-आबो-गिल की ये कीमिया, है चमन की मोजिज़ा-ए-नुमू - Firaq Gorakhpuri

ये कौल तेरा याद है साक़ी-ए-दौराँ - Firaq Gorakhpuri

नैरंगे रोज़गार में कैफ़े-दवाम देख - Firaq Gorakhpuri

वादे की रात मरहबा, आमदे-यार मेहरबाँ - Firaq Gorakhpuri

हमनवा कोई नहीं है वो चमन मुझको दिया - Firaq Gorakhpuri

बहुत पहले से उन कदमो की आहट जान लेते हैं - Firaq Gorakhpuri

वो चुप-चाप आँसू बहाने की रातें - Firaq Gorakhpuri

ये तो नहीं कि ग़म नहीं - Firaq Gorakhpuri

ज़ेर-ओ-बम से साज़-ए-ख़िलक़त के जहाँ बनता गया - Firaq Gorakhpuri

आज भी क़ाफ़िला-ए-इश्क़ रवाँ है कि जो था - Firaq Gorakhpuri

ये नर्म नर्म हवा झिलमिला रहे हैं चराग़ - Firaq Gorakhpuri

कुछ इशारे थे जिन्हें दुनिया समझ बैठे थे हम - Firaq Gorakhpuri

सितारों से उलझता जा रहा हूँ - Firaq Gorakhpuri

अब तो हम हैं - Firaq Gorakhpuri

छलक के कम न हो ऐसी कोई शराब नहीं - Firaq Gorakhpuri

सर में सौदा भी नहीं, दिल में तमन्ना भी नहीं - Firaq Gorakhpuri

शाम-ए-ग़म कुछ उस निगाह-ए-नाज़ की बातें करो - Firaq Gorakhpuri

किसी का यूं तो हुआ कौन उम्र भर फिर भी - Firaq Gorakhpuri

मुझको मारा है हर एक दर्द-ओ-दवा से पहले - Firaq Gorakhpuri

कोई पैग़ाम-ए-मोहब्बत लब-ए-एजाज़ तो दे - Firaq Gorakhpuri

निगाह-ए-नाज़ ने पर्दे उठाए हैं क्या क्या - Firaq Gorakhpuri

बस्तियाँ ढूँढ रही हैं उन्हें वीरानों में - Firaq Gorakhpuri

अब अक्सर चुप-चुप से रहे हैं - Firaq Gorakhpuri

Munnawar Rana - Selected Gazal

अच्छा हुआ कि मेरा नशा भी उतर गया - मुनव्वर राना

अच्छी से अच्छी आब-ओ-हवा के बग़ैर भी - मुनव्वर राना

अना हवस की दुकानों में आ के बैठ गई - मुनव्वर राना

अलमारी से ख़त उस के पुराने निकल आए - मुनव्वर राना

आप को चेहरे से भी बीमार होना चाहिए - मुनव्वर राना

आँखों को इंतज़ार की भट्टी पे रख दिया - मुनव्वर राना

इतनी तवील उम्र को जल्दी से काटना - मुनव्वर राना

इश्क है तो इश्क का इजहार होना चाहिये - मुनव्वर राना

ऐसा लगता है कि कर देगा अब आज़ाद मुझे - मुनव्वर राना

कई घरों को निगलने के बाद आती है - मुनव्वर राना

कभी ख़ुशी से ख़ुशी की तरफ़ नहीं देखा - मुनव्वर राना

काले कपड़े नहीं पहने हैं तो इतना कर ले - मुनव्वर राना

किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकाँ आई - मुनव्वर राना

किसी ग़रीब की बरसों की आरज़ू हो जाऊँ - मुनव्वर राना

ख़फ़ा होना ज़रा सी बात पर तलवार हो जाना - मुनव्वर राना

ख़ुद अपने ही हाथों का लिखा काट रहा हूँ - मुनव्वर राना

ख़ून रुलवाएगी ये जंगल-परस्ती एक दिन - मुनव्वर राना

गले मिलने को आपस में दुआएँ रोज़ आती हैं - मुनव्वर राना

घर में रहते हुए ग़ैरों की तरह होती हैं - मुनव्वर राना

चले मक़्तल की जानिब और छाती खोल दी हम ने - मुनव्वर राना

छाँव मिल जाए तो कम दाम में बिक जाती है - मुनव्वर राना

जहां तक हो सका हमने तुम्हें परदा कराया है - मुनव्वर राना

जुदा रहता हूँ मैं तुझ से तो दिल बे-ताब रहता है - मुनव्वर राना

तुम्हारे जिस्म की ख़ुश्बू गुलों से आती है - मुनव्वर राना

थकन को ओढ़ के बिस्तर में जा के लेट गए - मुनव्वर राना

थकी-मांदी हुई बेचारियाँ आराम करती हैं - मुनव्वर राना

दरिया-दिली से अब्र-ए-करम भी नहीं मिला - मुनव्वर राना

दुनिया तिरी रौनक़ से मैं अब ऊब रहा हूँ - मुनव्वर राना

दोहरा रहा हूँ बात पुरानी कही हुई - मुनव्वर राना

नुमाइश के लिए गुलकारियाँ दोनों तरफ़ से हैं - मुनव्वर राना

पैरों को मिरे दीदा-ए-तर बाँधे हुए है - मुनव्वर राना

फिर से बदल के मिट्टी की सूरत करो मुझे - मुनव्वर राना

बहुत पानी बरसता है तो मिट्टी बैठ जाती है - मुनव्वर राना

बादशाहों को सिखाया है क़लंदर होना - मुनव्वर राना

भुला पाना बहुत मुश्किल है सब कुछ याद रहता है - मुनव्वर राना

मसर्रतों के ख़ज़ाने ही कम निकलते हैं - मुनव्वर राना

महफ़िल में आज मर्सिया-ख़्वानी ही क्यूँ न हो - मुनव्वर राना

मिट्टी में मिला दे कि जुदा हो नहीं सकता - मुनव्वर राना

मुख़्तसर होते हुए भी ज़िंदगी बढ़ जाएगी - मुनव्वर राना

मुझ को गहराई में मिट्टी की उतर जाना है - मुनव्वर राना

मुहाजिर हैं मगर हम एक दुनिया छोड़ आए हैं - मुनव्वर राना

मेरी ख़्वाहिश है कि फिर से मैं फ़रिश्ता हो जाऊँ - मुनव्वर राना

मैं इस से पहले कि बिखरूँ इधर उधर हो जाऊँ - मुनव्वर राना

ये दरवेशों की बस्ती है यहाँ ऐसा नहीं होगा - मुनव्वर राना

ये बुत जो हम ने दोबारा बना के रक्खा है - मुनव्वर राना

खये सर-बुलंद होते ही शाने से कट गया - मुनव्वर राना

ये हिज्र का रस्ता है ढलानें नहीं होतीं - मुनव्वर राना

रोने में इक ख़तरा है, तालाब नदी हो जाते हैं - मुनव्वर राना

वो बिछड़ कर भी कहाँ मुझ से जुदा होता है - मुनव्वर राना

सहरा-पसंद हो के सिमटने लगा हूँ मैं - मुनव्वर राना

सहरा पे बुरा वक़्त मिरे यार पड़ा है - मुनव्वर राना

सारी दौलत तिरे क़दमों में पड़ी लगती है - मुनव्वर राना

हम कुछ ऐसे तिरे दीदार में खो जाते हैं - मुनव्वर राना

हर एक आवाज़ अब उर्दू को फ़रियादी बताती है - मुनव्वर राना

हर एक चेहरा यहाँ पर गुलाल होता है - मुनव्वर राना

हँसते हुए माँ-बाप की गाली नहीं खाते - मुनव्वर राना

हाँ इजाज़त है अगर कोई कहानी और है - मुनव्वर राना

Ahmad Faraz - Selected Gazal

हर्फ़े-ताज़ा की तरह क़िस्स-ए-पारीना कहूँ - अहमद फ़राज़

न कोई ख़्वाब न ताबीर ऐ मेरे मालिक - अहमद फ़राज़

तेरा क़ुर्ब था कि फ़िराक़ था वही तेरी जलवागरी रही - अहमद फ़राज़

यूँ तुझे ढूँढ़ने निकले के न आए ख़ुद भी - अहमद फ़राज़

आज फिर दिल ने कहा आओ भुला दें यादें - अहमद फ़राज़

मैं दीवाना सही पर बात सुन ऐ हमनशीं मेरी - अहमद फ़राज़

ना दिल से आह ना लब से सदा निकलती है - अहमद फ़राज़

तेरी बातें ही सुनाने आये - अहमद फ़राज़

ज़िन्दगी से यही गिला है मुझे - अहमद फ़राज़

दुख फ़साना नहीं के तुझसे कहें - अहमद फ़राज़

तुझसे बिछड़ के हम भी मुकद्दर के हो गये - अहमद फ़राज़

गनीम से भी अदावत में हद नहीं माँगी - अहमद फ़राज़

ज़ख़्म को फ़ूल तो सर-सर को सबा कहते हैं - अहमद फ़राज़

तुझे उदास किया खुद भी सोगवार हुएं - अहमद फ़राज़

बुझा है दिल तो ग़मे-यार अब कहाँ तू भी - अहमद फ़राज़

अच्छा था अगर ज़ख्म न भरते कोई दिन और - अहमद फ़राज़

जो चल सको तो कोई ऐसी चाल चल जाना - अहमद फ़राज़

हम सुनायें तो कहानी और है - अहमद फ़राज़

संगदिल है वो तो क्यूं इसका गिला मैंने किया - अहमद फ़राज़

अब वो मंजर, ना वो चेहरे ही नजर आते हैं - अहमद फ़राज़

अव्वल अव्वल की दोस्ती है अभी - अहमद फ़राज़

फ़नकारों के नाम - अहमद फ़राज़

रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ - अहमद फ़राज़

क़ुर्बतों में भी जुदाई के ज़माने माँगे - अहमद फ़राज़

मा’बूदं - अहमद फ़राज़

जुज़ तेरे कोई भी दिन-रात न जाने मेरे - अहमद फ़राज़

न हरीफ़े जाँ न शरीक़े-ग़म शबे-इंतज़ार कोई तो हो - अहमद फ़राज़

शाख़े-निहाले-ग़म - अहमद फ़राज़

ख़ुदकलामी - अहमद फ़राज़

दिल तो वो बर्गे-ख़िज़ाँ है कि हवा ले जाए - अहमद फ़राज़

न इंतज़ार की लज़्ज़त , न आरज़ू की थकन - अहमद फ़राज़

हम तो यूँ ख़ुश थे कि इक तार गिरेबान में है - अहमद फ़राज़

ख़ामोश हो क्यों दादे-ज़फ़ा क्यूँ नहीं देते - अहमद फ़राज़

इज़्हार - अहमद फ़राज़

ख़ुदकुशी - अहमद फ़राज़

सुन भी ऐ नग़्मासंजे-कुंजे-चमन अब समाअत का इन्तज़ार किसे - अहमद फ़राज़

दिल बहलता है कहाँ अंजुमो-महताब से भी - अहमद फ़राज़

वफ़ा के बाब में इल्ज़ामे-आशिक़ी न लिया - अहमद फ़राज़

शिकस्त - अहमद फ़राज़

ज़ेरे-लब - अहमद फ़राज़

ऐसे चुप हैं कि ये मंज़िल भी कड़ी हो जैसे - अहमद फ़राज़

क्या ऐसे कम-सुख़न से कोई गुफ़्तगू करे - अहमद फ़राज़

हरेक बात न क्यों ज़ह्र-सी हमारी लगे - अहमद फ़राज़

हमदर्द - अहमद फ़राज़

ख़्वाब - अहमद फ़राज़

सौ दूरियों पे भी भी मिरे दिल से जुदा न थी - अहमद फ़राज़

जो भी दुख याद न था याद आया - अहमद फ़राज़

सवाल - अहमद फ़राज़

ग़रीबे-शह्र के नाम - अहमद फ़राज़

ज़ख़्म को फूल तो सरसर को सबा कहते हैं - अहमद फ़राज़

नींद - अहमद फ़राज़

ख़ुशबू का सफ़र - अहमद फ़राज़

अब के बरस भी - अहमद फ़राज़

तुझ से मिल कर भी कुछ ख़फ़ा हैं हम - अहमद फ़राज़

तुझे उदास किया ख़ुद भी सोग़वार हुए - अहमद फ़राज़

वही जुनूँ है वही क़ूच-ए-मलामत है - अहमद फ़राज़

पैग़ाम्बर - अहमद फ़राज़

रोज़ की मसाफ़त से चूर हो गए दरिया - अहमद फ़राज़

तू कि अंजान है इस शहर के अंदाज़ समझ - अहमद फ़राज़

ख़ुदा-ए-बरतर - अहमद फ़राज़

क़ुर्ब जुज़ दाग़े-जुदाई नही देता कुछ भी - अहमद फ़राज़

दोस्त बन कर भी नहीं साथ निभाने वाला - अहमद फ़राज़

ये आलम शौक़ का देखा न जाए - अहमद फ़राज़

ख़ुदग़रज़ - अहमद फ़राज़

वाबस्तगी - अहमद फ़राज़

अहले-ग़म जाते हैं नाउम्मीद तेरे शहर से - अहमद फ़राज़

तम्सील - अहमद फ़राज़

आँखों में चुभ रहे हैं दरो-बाम के चराग़ - अहमद फ़राज़

नज़र की धूप में साये घुले हैं शब की तरह - अहमद फ़राज़

शुहदा-ए-जंगे-आज़ादी 1857 के नाम - अहमद फ़राज़

पयंबरे-मश्रिक - अहमद फ़राज़

बतर्जे-बेदिल - अहमद फ़राज़

अल्मिया - अहमद फ़राज़

जब तेरी याद के जुगनू चमके - अहमद फ़राज़

मम्दूह - अहमद फ़राज़

अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें - अहमद फ़राज़

अच्छा था अगर ज़ख़्म न भरते कोई दिन और - अहमद फ़राज़

तरस रहा हूँ मगर तू नज़र न आ मुझको - अहमद फ़राज़

किसी तरह तो बयाँ हर्फ़े आरज़ू करते - अहमद फ़राज़

मैं और तू - अहमद फ़राज़

अफ़्रेशियाई अदीबों के नाम - अहमद फ़राज़

मैं कि पुरशोर समन्दर थे मेरे पाँवों में - अहमद फ़राज़

ये तो जब मुम्किन है - अहमद फ़राज़

तुम भी ख़फ़ा हो लोग भी बरहम हैं दोस्तो - अहमद फ़राज़

दज़िंदगी ! ऐ ज़िंदगी - अहमद फ़राज़

चन्द लम्हों के लिए तूने मसीहाई की - अहमद फ़राज़

उतरी थी शहरे-गुल में कोई आतिशी किरन - अहमद फ़राज़

कोई भटकता बादल - अहमद फ़राज़

करूँ न याद मगर किस तरह भुलाऊँ उसे - अहमद फ़राज़

किसी के तज़्क़िरे बस्ती में कू-ब-कू जो हुए - अहमद फ़राज़

तू पास भी हो तो दिल बेक़रार अपना है - अहमद फ़राज़

तिर्याक़ - अहमद फ़राज़

फिर भी तू इंतज़ार कर शायद - अहमद फ़राज़

अब वो झोंके कहाँ सबा जैसे - अहमद फ़राज़

अफ़ई की तरह डसने लगी मौजे-नफ़स भी - अहमद फ़राज़

बेसरो-सामाँ थे लेकिन इतना अन्दाज़ा न था - अहमद फ़राज़

मुस्तक़िल महरूमियों पर भी तो दिल माना नहीं - अहमद फ़राज़

जिससे ये तबियत बड़ी मुश्किल से लगी थी - अहमद फ़राज़

मुन्तज़िर कब से तहय्युर है तेरी तक़रीर का - अहमद फ़राज़

दिल भी बुझा हो शाम की परछाइयाँ भी हों - अहमद फ़राज़

पयाम आए हैं उस यार-ए-बेवफ़ा के मुझे - अहमद फ़राज़

अब और क्या किसी से मरासिम बढ़ाएं हम- अहमद फ़राज़

जिससे ये तबियत बड़ी मुश्किल से लगी थी - अहमद फ़राज़

तू पास भी हो तो दिल बेक़रार अपना है - अहमद फ़राज़

अब वो झोंके कहाँ सबा जैसे - अहमद फ़राज़

फिर उसी राहगुज़र पर शायद - अहमद फ़राज़

बेनियाज़-ए-ग़म-ए-पैमान-ए-वफ़ा हो जाना - अहमद फ़राज़

पयाम आये हैं उस यार-ए-बेवफ़ा के मुझे - अहमद फ़राज़

जब तेरी याद के जुगनू चमके - अहमद फ़राज़

ऐसे चुप हैं के ये मंज़िल भी कड़ी हो जैसे - अहमद फ़राज़

रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ - अहमद फ़राज़

क़ुर्बतों में भी जुदाई के ज़माने माँगे - अहमद फ़राज़

न हरीफ़े जाँ न शरीक़े-ग़म शबे-इंतज़ार कोई तो हो - अहमद फ़राज़

ख़ामोश हो क्यों दादे-ज़फ़ा क्यूँ नहीं देते - अहमद फ़राज़

दिल बहलता है कहाँ अंजुम-ओ-महताब से भी - अहमद फ़राज़

वफ़ा के बाब में इल्ज़ाम-ए-आशिक़ी न लिया - अहमद फ़राज़

ज़ख़्म को फूल तो सरसर को सबा कहते हैं - अहमद फ़राज़

वो जो आ जाते थे आँखों में सितारे लेकर - अहमद फ़राज़

किसी से दिल की हिक़ायत कभी कहा नहीं की - अहमद फ़राज़

कल हमने बज़्में यार में क्या-क्या शराब पी - अहमद फ़राज़

ये जान कर भी कि दोनों के रास्ते थे अलग - अहमद फ़राज़

मैं तो मकतल में भी - अहमद फ़राज़

साक़िया एक नज़र जाम से पहले-पहले- अहमद फ़राज़

करूँ न याद मगर किस तरह भुलाऊँ उसे - अहमद फ़राज़

आशिक़ी बेदिली से मुश्किल है - अहमद फ़राज़

ख़ुदकलामी - अहमद फ़राज़

नींद - अहमद फ़राज़

इज़्हार - अहमद फ़राज़

ज़िंदगी ! ऐ ज़िंदगी - अहमद फ़राज़

अव्वल अव्वल की दोस्ती है अभी - अहमद फ़राज़

मुंतज़िर कब से तहय्युर है तेरी तक़रीर का - अहमद फ़राज़

अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें - अहमद फ़राज़

अफ़ई की तरह डसने लगी मौजे-नफ़स भी - अहमद फ़राज़

दिल भी बुझा हो, शाम की परछाईयाँ भी हों - अहमद फ़राज़

क्यों तबियत कहीं ठहरती नहीं - अहमद फ़राज़

ये तबियत है तो ख़ुद आज़ार बन जायेंगे हम - अहमद फ़राज़

इब्न-ए-इंशा की ग़ज़लें

कल चौदहवीं की रात थी - इब्न-ए-इंशा

'इंशा'-जी उठो अब कूच करो - इब्न-ए-इंशा

उस शाम वो रुख़्सत का समाँ याद रहेगा - इब्न-ए-इंशा

शाम-ए-ग़म की सहर नहीं होती - इब्न-ए-इंशा

दिल हिज्र के दर्द से बोझल है - इब्न-ए-इंशा

कुछ कहने का वक़्त नहीं ये - इब्न-ए-इंशा

दिल इश्क़ में बे-पायाँ सौदा हो तो ऐसा हो - इब्न-ए-इंशा

जाने तू क्या ढूँढ रहा है बस्ती में वीराने में - इब्न-ए-इंशा

सुनते हैं फिर छुप छुप उन के - इब्न-ए-इंशा

सब को दिल के दाग़ दिखाए - इब्न-ए-इंशा

किस को पार उतारा तुम ने - इब्न-ए-इंशा

और तो कोई बस न चलेगा - इब्न-ए-इंशा

रात के ख़्वाब सुनाएँ किस को - इब्न-ए-इंशा

देख हमारे माथे पर ये दश्त-ए-तलब - इब्न-ए-इंशा

अपने हमराह जो आते हो इधर से पहले - इब्न-ए-इंशा

देख हमारी दीद के कारन - इब्न-ए-इंशा

हम जंगल के जोगी हम को - इब्न-ए-इंशा

दिल किस के तसव्वुर में जाने रातों को - इब्न-ए-इंशा

जब दहर के ग़म से अमाँ न मिली - इब्न-ए-इंशा

जल्वा-नुमाई बे-परवाई हाँ यही रीत जहाँ की है - इब्न-ए-इंशा

हम उन से अगर मिल बैठे हैं - इब्न-ए-इंशा

राज़ कहाँ तक राज़ रहेगा - इब्न-ए-इंशा

लोग हिलाल-ए-शाम से बढ़ कर - इब्न-ए-इंशा

ऐ दिल वालो घर से निकलो - इब्न-ए-इंशा

जंगल जंगल शौक़ से घूमो - इब्न-ए-इंशा

दिल सी चीज़ के गाहक होंगे दो या एक - इब्न-ए-इंशा

पीत करना तो हम से निभाना सजन - इब्न-ए-इंशा

हमें तुम पे गुमान-ए-वहशत था - इब्न-ए-इंशा

इस शहर के लोगों पे ख़त्म सही - इब्न-ए-इंशा

सावन-भादों साठ ही दिन हैं- इब्न-ए-इंशा

जोग बिजोग की बातें झूठी - इब्न-ए-इंशा

ऐ मुँह मोड़ के जाने वाली - इब्न-ए-इंशा

अच्छा जो ख़फ़ा हम से हो - इब्न-ए-इंशा

ख़याल कीजिये क्या काम आज मैं ने किया - इब्न-ए-इंशा

फ़क़ीर बन कर तुम उनके दर पर - इब्न-ए-इंशा

अकबर इलाहाबादी की चुनिंदा संग्रह व चुनिंदा ग़ज़ल

गांधीनामा - अकबर इलाहाबादी

हंगामा है क्यूँ बरपा - अकबर इलाहाबादी

कोई हँस रहा है कोई रो रहा है - अकबर इलाहाबादी

बहसें फ़ुजूल थीं यह खुला हाल देर से - अकबर इलाहाबादी

दिल मेरा जिस से बहलता - अकबर इलाहाबादी

दुनिया में हूँ दुनिया का तलबगार नहीं हूँ - अकबर इलाहाबादी

समझे वही इसको जो हो दीवाना किसी का - अकबर इलाहाबादी

आँखें मुझे तल्वों से वो मलने नहीं देते - अकबर इलाहाबादी

पिंजरे में मुनिया - अकबर इलाहाबादी

उन्हें शौक़-ए-इबादत भी है - अकबर इलाहाबादी

दएक बूढ़ा नहीफ़-ओ-खस्ता दराज़ - अकबर इलाहाबादी

अरमान मेरे दिल का निकलने नहीं देते - अकबर इलाहाबादी

अकबर इलाहाबादी की चुनिंदा ग़ज़ल

जो यूं ही लहज़ा लहज़ा दाग़-ए-हसरत की तरक़्क़ी है - अकबर इलाहाबादी

फिर गई आप की दो दिन में तबीयत कैसी - अकबर इलाहाबादी

कहाँ ले जाऊँ दिल दोनों जहाँ में इसकी मुश्किल है - अकबर इलाहाबादी

किस किस अदा से तूने जलवा दिखा के मारा - अकबर इलाहाबादी

कट गई झगड़े में सारी रात वस्ल-ए-यार की - अकबर इलाहाबादी

शक्ल जब बस गई आँखों में तो छुपना कैसा - अकबर इलाहाबादी

दम लबों पर था दिलेज़ार के घबराने से - अकबर इलाहाबादी

जान ही लेने की हिकमत में तरक़्क़ी देखी - अकबर इलाहाबादी

ख़ुशी है सब को कि आप्रेशन में ख़ूब नश्तर चल रहा है - अकबर इलाहाबादी

आपसे बेहद मुहब्बत है मुझे - अकबर इलाहाबादी

हिन्द में तो मज़हबी हालत है अब नागुफ़्ता बेह - अकबर इलाहाबादी

हिन्द में तो मज़हबी हालत है अब नागुफ़्ता बेह - अकबर इलाहाबादी

बिठाई जाएंगी पर्दे में बीबियाँ कब तक - अकबर इलाहाबादी

हस्ती के शजर में जो यह चाहो कि चमक जाओ - अकबर इलाहाबादी

तअज्जुब से कहने लगे बाबू साहब - अकबर इलाहाबादी

सूप का शायक़ हूँ यख़नी होगी क्या - अकबर इलाहाबादी

चश्मे-जहाँ से हालते अस्ली छिपी नहीं - अकबर इलाहाबादी

हास्य-रस -एक - अकबर इलाहाबादी

हास्य-रस -दो - अकबर इलाहाबादी

हास्य-रस -तीन - अकबर इलाहाबादी

हास्य-रस -चार - अकबर इलाहाबादी

हास्य-रस -पाँच - अकबर इलाहाबादी

हास्य-रस -छ: - अकबर इलाहाबादी

हास्य-रस -सात - अकबर इलाहाबादी

ख़ुदा के बाब में - अकबर इलाहाबादी

मुस्लिम का मियाँपन सोख़्त करो - अकबर इलाहाबादी

जिस बात को मुफ़ीद समझते हो - अकबर इलाहाबादी

गाँधी तो हमारा भोला है - अकबर इलाहाबादी

मुझे भी दीजिए अख़बार - अकबर इलाहाबादी

शेर कहता है - अकबर इलाहाबादी

बहार आई - अकबर इलाहाबादी

आबे ज़मज़म से कहा मैंने - अकबर इलाहाबादी

शेख़ जी अपनी सी बकते ही रहे - अकबर इलाहाबादी

हाले दिल सुना नहीं सकता - अकबर इलाहाबादी

हो न रंगीन तबीयत - अकबर इलाहाबादी

मौत आई इश्क़ में - अकबर इलाहाबादी

काम कोई मुझे बाकी नहीं - अकबर इलाहाबादी

तहज़ीब के ख़िलाफ़ है - अकबर इलाहाबादी

हम कब शरीक होते हैं - अकबर इलाहाबादी

मुँह देखते हैं हज़रत - अकबर इलाहाबादी

अफ़्सोस है - अकबर इलाहाबादी

ग़म क्या - अकबर इलाहाबादी

उससे तो इस सदी में - अकबर इलाहाबादी

ख़ैर उनको कुछ न आए - अकबर इलाहाबादी

जो हस्रते दिल है - अकबर इलाहाबादी

मायूस कर रहा है - अकबर इलाहाबादी

गांधीनामा - अकबर इलाहाबादी

वो हवा न रही वो चमन न रहा - अकबर इलाहाबादी

सदियों फ़िलासफ़ी की चुनाँ - अकबर इलाहाबादी

जो तुम्हारे लब-ए-जाँ-बख़्श - अकबर इलाहाबादी

जहाँ में हाल मेरा - अकबर इलाहाबादी

हूँ मैं परवाना मगर - अकबर इलाहाबादी

ग़म्ज़ा नहीं होता के - अकबर इलाहाबादी

चर्ख़ से कुछ उम्मीद थी ही नहीं - अकबर इलाहाबादी

हर क़दम कहता है तू आया है जाने के लिए - अकबर इलाहाबादी

भारतेंदु हरिश्चंद्र की ग़ज़लें भारतेन्दु 'रसा'

दिल आतिश-ए-हिज्राँ से जलाना नहीं अच्छा

अजब जोबन है गुल पर आमद-ए-फ़स्ल-ए-बहारी है

असीरान-ए-क़फ़स सेहन-ए-चमन को याद करते हैं

फिर आई फ़स्ल-ए-गुल फिर ज़ख़्म-ए-दिल रह रह के पकते हैं

आ गई सर पर क़ज़ा लो सारा सामाँ रह गया

गले मुझको लगा लो ऐ दिलदार होली में

उसको शाहनशही हर बार मुबारक होवे

ख़याल-ए-नावक-ए-मिज़्गाँ में बस हम सर पटकते हैं

ग़ज़ब है सुर्मा दे कर आज वो बाहर निकलते हैं

उठा के नाज़ से दामन भला किधर को चले

जहाँ देखो वहाँ मौजूद मेरा कृष्ण प्यारा है

दश्त-पैमाई का गर क़स्द मुकर्रर होगा

हज़ल (हास्य ग़ज़ल)

हज़ल (हास्य ग़ज़ल)

फ़साद-ए-दुनिया मिटा चुके हैं हुसूल-ए-हस्ती मिटा चुके हैं

फिर मुझे लिखना जो वस्फ़-ए-रू-ए-जानाँ हो गया

बाल बिखेरे आज परी तुर्बत पर मेरे आएगी

बुत-ए-काफ़िर जो तू मुझ से ख़फ़ा है

बैठे जो शाम से तिरे दर पे सहर हुई

रहे न एक भी बेदाद-गर सितम बाक़ी

दिल मिरा तीर-ए-सितमगर का निशाना हो गया

दुनिया में हाथ पैर हिलाना नहीं अच्छा

वसीम बरेलव की चुनिंदा ग़ज़ल

मिली हवाओं में उड़ने की- वसीम बरेलवी

मैं चाहता भी यही था वो बेवफ़ा निकले - वसीम बरेलवी

मैं इस उम्मीद पे डूबा कि तू बचा लेगा - वसीम बरेलवी

अपने हर लफ़्ज़ का ख़ुद आईना हो जाऊँगा - वसीम बरेलवी

खुल के मिलने का सलीक़ा आपको आता नहीं - वसीम बरेलवी

क्या दुःख है, समंदर को बता भी नहीं सकता - वसीम बरेलवी

कही सुनी पे बहुत एतबार करने लगे - वसीम बरेलवी

हुस्न बाज़ार हुआ क्या कि हुनर ख़त्म हुआ - वसीम बरेलवी

रात के टुकड़ों पे पलना छोड़ दे - वसीम बरेलवी

तुझको सोचा तो पता हो गया रुसवाई को - वसीम बरेलवी

मैं अपने ख़्वाब से बिछ्ड़ा नज़र नहीं आता - वसीम बरेलवी

क्या बताऊं कैसा ख़ुद को दर-ब-दर मैंने किया - वसीम बरेलवी

कहाँ तक आँख रोएगी कहाँ तक किसका ग़म होगा - वसीम बरेलवी

कौन-सी बात कहाँ , कैसे कही जाती है - वसीम बरेलवी

तुम्हारी राह में मिट्टी के घर नहीं आते - वसीम बरेलवी


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