Hindi Kavita
हिंदी कविता
हिंदी देश भक्ति(toc)
बोस - The Forgotten Hero (2005) - आज़ादी
जागे हैं अब सारे
लोग तेरे देख वतन
गूंजे है नारों से
अब ये ज़मीन और ये गगन
कल तक मैं तन्हाँ था
सूने थे सब रस्ते
कल तक मैं तन्हाँ था
पर अब हैं साथ मेरे
लाखों दिलों की धड़कन
देख वतन
आज़ादी पाएंगे
आज़ादी लायेंगे
आज़ादी छाएगी
आज़ादी आएगी
जागे हैं अब सारे
लोग तेरे देख वतन
गूंजे है नारों से
अब ये ज़मीन और ये गगन
कल तक मैं तन्हाँ था
सुने थे सब रस्ते
कल तक मैं तन्हाँ था
पर अब हैं साथ मेरे
लाखों दिलों की धड़कन
देख वतन
हम चाहे आज़ादी
हम मांगे आज़ादी
आज़ादी छाएगी
आज़ादी आएगी
इन्साफ की डगर पर - गंगा जमुना
इन्साफ की डगर पे, बच्चों दिखाओ चल के
ये देश है तुम्हारा, नेता तुम्ही हो कल के
दुनिया के रंज सहना और, कुछ ना मुँह से कहना
सच्चाईयों के बल पे, आगे को बढ़ते रहना
रख दोगे एक दिन तुम, संसार को बदल के
इन्साफ की डगर पे...
अपने हों या पराए, सब के लिए हो न्याय
देखो कदम तुम्हारा, हरगिज़ ना डगमगाए
रस्ते बड़े कठिन हैं, चलना संभल-संभल के
इन्साफ की डगर पे...
इन्सानियत के सर पे, इज़्ज़त का ताज रखना
तन मन की भेंट देकर, भारत की लाज रखना
जीवन नया मिलेगा, अंतिम चिता में जल के
इन्साफ की डगर पे...
अब तुम्हारे हवाले है वतन साथियों - हकीकत
कर चले हम फ़िदा, जान-ओ-तन साथीयों
अब तुम्हारे हवाले वतन साथीयों ...
सांस थमती गई, नब्ज जमती गई,
फिर भी बढ़ते कदम को ना रुकने दिया
कट गये सर हमारे तो कुछ ग़म नहीं
सर हिमालय का हमने न झुकने दिया
मरते मरते रहा बाँकपन साथीयों
अब तुम्हारे हवाले वतन साथीयों ...
जिन्दा रहने के मौसम बहुत हैं मगर
जान देने की रुत रोज आती नहीं
हुस्न और इश्क दोनो को रुसवा करे
वो जवानी जो खूँ में नहाती नहीं
बाँध लो अपने सर पर कफ़न साथीयों
अब तुम्हारे हवाले वतन साथीयों ...
राह कुर्बानियों की ना वीरान हो
तुम सजाते ही रहना नये काफ़िले
फ़तह का जश्न इस जश्न के बाद है
जिन्दगी मौत से मिल रही है गले
आज धरती बनी है दुल्हन साथीयों
अब तुम्हारे हवाले वतन साथीयों ...
खेंच दो अपने खूँ से जमीं पर लकीर
इस तरफ आने पाये ना रावण कोई
तोड़ दो हाथ अगर हाथ उठने लगे
छूने पाये ना सीता का दामन कोई
राम भी तुम तुम्हीं लक्ष्मण साथीयों
अब तुम्हारे हवाले वतन साथीयों ...
हम लाये हैं तूफ़ान से कश्ती निकाल के - जागृति
पासे सभी उलट गए दुश्मन की चाल के
अक्षर सभी पलट गए भारत के भाल के
मंजिल पे आया मुल्क हर बला को टाल के
सदियों के बाद फिर उड़े बादल गुलाल के
हम लाये हैं तूफ़ान से किश्ती निकाल के
इस देश को रखना मेरे बच्चो संभाल के
तुम ही भविष्य हो मेरे भारत विशाल के
इस देश को रखना मेरे बच्चो संभाल के ...
देखो कहीं बरबाद न होवे ये बगीचा
इसको हृदय के खून से बापू ने है सींचा
रक्खा है ये चिराग शहीदों ने बाल के
इस देश को रखना मेरे बच्चो संभाल के
हम लाये हैं तूफ़ान से किश्ती निकाल के...
दुनिया के दांव पेंच से रखना न वास्ता
मंजिल तुम्हारी दूर है लंबा है रास्ता
भटका न दे कोई तुम्हें धोके मे डाल के
इस देश को रखना मेरे बच्चो संभाल के
हम लाये हैं तूफ़ान से किश्ती निकाल के...
एटम बमों के जोर पे ऐंठी है ये दुनिया
बारूद के इक ढेर पे बैठी है ये दुनिया
तुम हर कदम उठाना जरा देखभाल के
इस देश को रखना मेरे बच्चो संभाल के
हम लाये हैं तूफ़ान से किश्ती निकाल के...
आराम की तुम भूल भुलय्या में न भूलो
सपनों के हिंडोलों मे मगन हो के न झुलो
अब वक़्त आ गया मेरे हंसते हुए फूलो
उठो छलांग मार के आकाश को छू लो
तुम गाड़ दो गगन में तिरंगा उछाल के
इस देश को रखना मेरे बच्चो संभाल के
हम लाये हैं तूफ़ान से किश्ती निकाल के...
जय जननी ने भारत माँ - धरम पुत्र
बग़ावत का खुला पैग़ाम देता हूँ जवानों को.
अरे उठो उठ कर मिटा दो तुम ग़ुलामी के निशानों को.
जय जननी जय भारत माँ ...
उठो गंगा की गोदी से, उठो सतलुज के साहिल से.
उठो दक्खन के सीने से, उठो बंगाल के दिल से.
निकालो अपनी धरती से बिदेशी हुक्मरानों को.
उठो उठ कर मिटा दो तुम ग़ुलामी के निशानों को.
जय जननी जय भारत माँ ...
ख़िज़ाँ की क़ैद से उजड़ा चमन आज़ाद करना है.
हमें अपनी ज़मीं अपना चमन आज़ाद करना है.
जो ग़द्दारी सिखायें खीँच लो उनकी ज़बानों को.
उठो उठ कर मिटा दो तुम ग़ुलामी के निशानों को.
जय जननी जय भारत माँ ...
ये सौदागर जो इस धरती पे क़ब्ज़ा कर के बैठे हैं.
हमारे ख़ून से अपने ख़ज़ाने भर के बैठे हैं.
इन्हें कह दो के अब वापस करें सारे ख़ज़ानों को.
उठो उठ कर मिटा दो तुम ग़ुलामी के निशानों को.
जय जननी जय भारत माँ ...
जो इन खेतों का दाना दुश्मनों के काम आना है.
जो इन कानों का सोना अजनबी देशों को जाना है.
तो फूँको सारी फ़स्लों को जला दो सारी कानों को.
उठो उठ कर मिटा दो तुम ग़ुलामी के निशानों को.
जय जननी जय भारत माँ ...
बहुत झेलीं ग़ुलामी की बलायें अब न झेलेंगे.
चढ़ेंगे फाँसियों पर गोलियों को हँस के झेलेंगे.
उन्हीं पर मोड़ देंगे उनकी तोपों के दहानों को.
उठो उठ कर मिटा दो तुम ग़ुलामी के निशानों को.
कदम कदम बढाये जा
कदम कदम बढ़ाये जा, खुशी के गीत गाये जा
ये जिन्दगी है क़ौम की, तू क़ौम पे लुटाये जा
शेर-ए-हिन्द आगे बढ़, मरने से फिर कभी ना डर
उड़ाके दुश्मनों का सर, जोशे-वतन बढ़ाये जा
कदम कदम बढ़ाये जा ...
हिम्मत तेरी बढ़ती रहे, खुदा तेरी सुनता रहे
जो सामने तेरे खड़े, तू ख़ाक मे मिलाये जा
कदम कदम बढ़ाये जा ...
चलो दिल्ली पुकार के, क़ौमी निशां सम्भाल के
लाल किले पे गाड़ के, लहराये जा लहराये जा
कदम कदम बढ़ाये जा...
लक्ष्य / कन्धों से मिलते है कंधे
कन्धों से कंधे मिलते है, कदमो से कदम मिलते हैं,
हम चलते हैं जब ऐसे तो ,दिल दुश्मन के हिलते हैं ,
अब तो हमें आगे बढते है रहना ,
अब तो हमें साथी, है बस इतना ही कहना,
अब जो भी हो, शोला बनके पत्थर है पिघलाना ,
अब जो भी हो , बादल बनके परबत पर है छाना ,
कन्धों से कंधे मिलते है, कदमो से कदम मिलते हैं,
हम चलते हैं जब ऐसे तो, दिल दुश्मन के हिलते हैं ,
निकले हैं मैदान पर, हम जान हथेली पर लेकर ,
अब देखो दम लेंगे हम, जाके अपनी मंजिल पर ,
खतरों से हंसके खेलना, इतनी तो हममे हिम्मत है ,
मोड़े कलाई मौत की , इतनी तो हममे ताक़त है ,
हम सरहदों के वास्ते, लोहे की इक दीवार हैं ,
हम दुशमन के वास्ते, होशीयार हैं तैयार हैं ,
अब जो भी हो, शोला बनके पत्थर है पिघलाना ,
अब जो भी हो , बादल बनके परबत पर है छाना ,
कन्धों से कंधे मिलते है, कदमो से कदम मिलते हैं,
हम चलते हैं जब ऐसे तो दिल दुश्मन के हिलते हैं ,
जोश दिल में जगाते चलो, जीत के गीत गाते चलो,
जोश दिल में जगाते चलो, जीत के गीत गाते चलो,
जीत की तो तस्वीर बनाने , हम निकले हैं अपने लहू से,
हम को उस में रंग भरना है,
साथी मैंने अपने दिल में अब यह ठान लिया है ,
या तो अब करना है, या तो अब मरना है ,
चाहे अंगारें बरसे या बर्फ गिरे ,
तू अकेला नहीं होगा यारा मेरे ,
कोई मुश्किल हो या हो कोई मोर्चा,
साथ हर हाल में होंगे साथी तेरे,
अब जो भी हो, शोला बनके पत्थर है पिघलाना,
अब जो भी हो , बादल बनके परबत पर है छाना ,
कन्धों से कंधे मिलते है, कदमो से कदम मिलते हैं,
हम चलते हैं जब ऐसे तो दिल दुश्मन के हिलते हैं ,
इक चेहरा अक्षर मुझे याद आता है,
इस दिल को चुपके चुपके वो तड़पाता है,
जब घर से कोई भी ख़त आया है,
कागज़ वो मैंने भीगा भीगा पाया है,
पलकों पलकों पर यादों के कुछ दीप जैसे जलते हैं,
कुछ सपने ऐसे हैं जो साथ साथ चलते हैं,
कोई सपना न टूटे, कोई वादा न टूटे,
तुम चाहो जिसे दिल से वो तुमसे न रूठे,
अब जो भी हो, शोला बनके पत्थर है पिघलाना,
अब जो भी हो , बादल बनके परबत पर है छाना ,
कन्धों से कंधे मिलते है, कदमो से कदम मिलते हैं,
हम चलते हैं जब ऐसे तो दिल दुश्मन के हिलते हैं ,
चलता है जो यह कारवां , गूंजी सी है यह वादियाँ,
है यह ज़मीन , यह आसमान,
है यह हवा, है यह समां,
हर रास्ते ने, हर वादी ने, हर परबत ने सदा दी,
हम जीतेंगे, हम जीतेंगे , हम जीतेंगे हर बाज़ी,
अब जो भी हो, शोला बनके पत्थर है पिघलाना,
अब जो भी हो , बादल बनके परबत पर है छाना,
कन्धों से कंधे मिलते है, कदमो से कदम मिलते हैं,
हम चलते हैं जब ऐसे तो दिल दुश्मन के हिलते हैं .....
मेरे दुश्मन मेरे भाई - बॉर्डर
चंद रोज होती है , जिन्दगी बरसों तलक रोती है
बारूद से बोझल सारी फिज़ा, है मोत की बू फैलाती हवा
जख्मों पे है छाई लाचारी, गलियों में है फिरती बीमारी
ये मरते बच्चे हाथों में, ये माओं का रोना रातों में
मुर्दा बस्ती मुर्दा है नगर, चेहरे पत्थर हैं दिल पत्थर
मेरे दुश्मन, मेरे भाई, मेरे हमसाये
मुझे से तुझ से, हम दोनों से, सुन ये पत्थर कुछ कहते हैं
बर्बादी के सारे मंजर कुछ कहते हैं
मेरे दुश्मन, मेरे भाई, मेरे हमसाये
सन्नाटे की गहरी छाँव, ख़ामोशी से जलते गाँव
ये नदियों पर टूटे हुए पुल, धरती घायल और व्याकुल
ये खेत ग़मों से झुलसे हुए, ये खाली रस्ते सहमे हुए
ये मातम करता सारा समां, ये जलते घर ये काला धुआं
मेरे दुश्मन, मेरे भाई, मेरे हमसाये
मुझे से तुझ से, हम दोनों से ये जलते घर कुछ कहते हैं
बर्बादी के सारे मंजर कुछ कहते हैं
मेरे दुश्मन, मेरे भाई, मेरे हमसाए
मेरे दुश्मन, मेरे भाई, मेरे हमसाये
चेहरों के, दिलों के ये पत्थर, ये जलते घर
बर्बादी के सारे मंजर, सब तेरे नगर सब मेरे नगर, ये कहते हैं
इस सरहद पर फुन्कारेगा कब तक नफरत का ये अजगर
हम अपने अपने खेतो में, गेहूँ की जगह चावल की जगह
ये बन्दूके क्यों बोते हैं
जब दोनों ही की गलियों में, कुछ भूखे बच्चे रोते हैं
आ खाएं कसम अब जंग नहीं होने पाए
ओर उस दिन का रस्ता देंखें,
जब खिल उठे तेरा भी चमन, जब खिल उठे मेरा भी चमन
तेरा भी वतन मेरा भी वतन, मेरा भी वतन तेरा भी वतन
मेरे दोस्त, मेरे भाई, मेरे हमसाये
यह जो देश है मेरा - स्वदेस
यह जो देस है तेरा, स्वदेस है तेरा ,
तुझे है पुकारा ,यह वो बंधन है जो ,
कभी टूट नहीं सकता ....
मिट्टी की है जो खुश्बू, तू कैसे भूलाएगा ,
तू चाहे कही जाए, लौट के आएगा ,
नयी नयी राहों में, दबी दबी आहों में,
खोये खोये दिल से तेरे , कोई यह कहेगा ,
यह जो देस है तेरा, स्वदेस है तेरा ,
तुझे है पुकारा , यह वो बंधन है जो ,
कभी टूट नहीं सकता ....
तुझसे जिंदगी यह कह रही,
सब तो पा लिया अब है क्या कमी ,
यूंह तो सारे सुख है बरसे,
पर दूर तू है अपने घर से ,
आ लौट चल अब तू दीवाने,
जहाँ कोई तो तुझे अपना माने ,
आवाज़ दे तुझे बुलाये वही देस,
यह जो देस है तेरा, स्वदेस है तेरा
तुझे है पुकारा ,यह वो बंधन है जो
कभी टूट नहीं सकता .............
यह पल है वही , जिसमें है छुपी ,
कोई एक शादी, सारी जिंदगी ,
तू न पूछ रास्ते में काहे, आयें हैं इस तरह दो राहे ,
तू ही तो है अब तो जो यह बताये ,
चाहे तो किस दिशा में जाए वो देस,
यह जो देस है तेरा, स्वदेस है तेरा
तुझे है पुकारा ,यह वो बंधन है जो
कभी टूट नहीं सकता .....
बढ़ते चलो, बढ़ते चलो, बढ़ते चलो जवानो - हमराही
बढ़ते चलो, बढ़ते चलो, बढ़ते चलो जवानो।
ऎ देश के सपूतो! मज़दूर और किसानो।।
है रास्ता भी रौशन और सामने है मंज़िल।
हिम्मत से काम लो तुम आसान होगी मुश्किल।।
कर के उसे दिखा दो, जो अपने दिल में ठानो।
बढ़ते चलो, बढ़ते चलो, बढ़ते चलो जवानो।।
भूखे महाजनों ने, ले रखे हैं इजारे।
जिनके सितम से लाखों फिरते हैं मारे-मारे।।
हैं देश के ये दुश्मन! इनको न दोस्त जानो।
बढ़ते चलो, बढ़ते चलो, बढ़ते चलो जवानो।।