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हिंदी कविता
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Shailendra ka jeevan parichay
शैलेन्द्र का जीवन परिचय
शंकरदास केसरीलाल शैलेन्द्र (30 अगस्त, 1923-14 दिसंबर 1966) शैलेन्द्र हिन्दी व भोजपुरी के प्रमुख गीतकार थे। उनका जन्म रावलपिंडी में और देहान्त मुम्बई में हुआ। शैलेन्द्र के पिताजी फ़ौज में थे व रहने वाले हैं बिहार के थे। पिता के रिटायर होने पर मथुरा में रहे, सन 1942 में रेलवे में इंजीनियरिंग के लिए मुंबई गए।
परन्तु अगस्त आंदोलन में जेल जाना पड़ा वही कविता का शौक़ हुआ। सन् 1947 में श्री राज कपूर एक कवि सम्मेलन में कविता पढ़ते देखकर शैलेन्द्र से प्रभाविर हुए। शैलेन्द्र को फ़िल्म 'आग' में लिखने के लिए कहा गया। सन् 1948 में शादी के बाद जीविका चलने के लिए श्री राज कपूर के पास गए। उन्होंने तुरन्त अपने चित्र 'बरसात' में लिखने का अवसर दिया। शैलेन्द्र को तीन बार सर्वश्रेष्ठ गीतकार का फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार मिला । उनका का एकमात्र काव्य-संगह 'न्यौता और चुनौती' मई 1955 ई. में प्रकाशित हुआ । शैलेन्द्र को फणीश्वर नाथ रेणु की कहानी 'मारे गए गुलफाम' बहुत पसंद आई। उन्होंने गीतकार के साथ निर्माता बनने की ठानी। राजकपूर और वहीदा रहमान को लेकर 'तीसरी कसम' बनाई।
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शैलेन्द्र के लोकप्रिय गीत
- रमैया वस्तावैया (श्री ४२०)
- मुड मुड के ना देख मुड मुड के (श्री ४२०)
- गाता रहे मेरा दिल (गाईड)
- पिया तो से नैना लागे रे (गाईड)
- क्या से क्या हो गया (गाईड)
- हर दिल जो प्यार करेगा (संगम)
- दोस्त दोस्त ना रहा (संगम)
- सब कुछ सीखा हमने (अनाडी)
- किसी की मुस्कराहटों पे (अनाडी
- सजन रे झूठ मत बोलो खुदा के पास जाना है (तीसरी कसम)
- दुनिया बनाने वाले (तीसरी कसम)
- "जाने कैसे सपनों में खो गई अंखियां" (अनुराधा)
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