Brij Narayan Chakbast | पंडित बृज नारायण चकबस्त

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Brij Narayan Chakbast ka jeevan parichay
बृज नारायण चकबस्त का जीवन परिचय

पंडित बृज नारायण चकबस्त (चकबस्त लखनवी) (19-जनवरी 1882–12 फ़रवरी 1926) का जन्म फैजाबाद में हुआ। वे प्रसिद्ध तथा सम्मानित कश्मीरी परिवार के थे। उनके पिता पंडित उदित नारायण शिव पूरी चकबस्त भी शायर थे और यक़ीन के उपनाम से लिखते थे । वो पटना में डिप्टी कमिश्नर थे । चकबस्त जब पांच साल के थे पिता की मृत्यु हो गई। बड़े भाई पंडित महाराज नारायण चकबस्त ने उनकी शिक्षा में रुचि ली। चकबस्त ने 1908 में कानून की डिग्री ली और वकालत शुरू की। कहते हैं 9 साल की उम्र से शे'र कहने लगे थे। बारह साल की उम्र में कलाम में परिपक्वता आ चुकी थी। 

 

Selected Poems of Brij Narayan Chakbast | पंडित बृज नारायण चकबस्त की चुनिंदा कविताएं

Brij Narayan Chakbast ki Gazal

Brij Narayan Chakbast ki Nazme

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Brij Narayan Chakbast selected Nazmein

आसिफ़ुद्दौला का इमामबाड़ा लखनऊ - Brij Narayan Chakbast

ख़ाक-ए-हिंद - Brij Narayan Chakbast

दर्द-ए-दिल - Brij Narayan Chakbast

बरसात - Brij Narayan Chakbast

मज़हब-ए-शायराना - Brij Narayan Chakbast

मर्सिया गोपाल कृष्ण गोखले - Brij Narayan Chakbast

मर्सिया बाल-गंगा-धर-तिलक - Brij Narayan Chakbast

रामायण का एक सीन - Brij Narayan Chakbast

वतन का राग - Brij Narayan Chakbast

हुब्ब-ए-क़ौमी - Brij Narayan Chakbast

नज़राने रूह - Brij Narayan Chakbast

पयामे-वफ़ा - Brij Narayan Chakbast

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Brij Narayan Chakbast Selected Gazal

अगर दर्द-ए-मोहब्बत से न इंसाँ आश्ना होता - Brij Narayan Chakbast

उन्हें ये फ़िक्र है हर दम नई तर्ज़-ए-जफ़ा क्या है - Brij Narayan Chakbast

कभी था नाज़ ज़माने को अपने हिन्द पे भी - Brij Narayan Chakbast

कुछ ऐसा पास-ए-ग़ैरत उठ गया इस अहद-ए-पुर-फ़न में - Brij Narayan Chakbast

ज़बाँ को बंद करें या मुझे असीर करें - Brij Narayan Chakbast

दर्द-ए-दिल पास-ए-वफ़ा जज़्बा-ए-ईमाँ होना - Brij Narayan Chakbast

दिल किए तस्ख़ीर बख़्शा फ़ैज़-ए-रूहानी मुझे - Brij Narayan Chakbast

नए झगड़े निराली काविशें ईजाद करते हैं - Brij Narayan Chakbast

न कोई दोस्त दुश्मन हो शरीक-ए-दर्द-ओ-ग़म मेरा - Brij Narayan Chakbast

फ़ना का होश आना ज़िंदगी का दर्द-ए-सर जाना - Brij Narayan Chakbast

फ़ना नहीं है मुहब्बत के रंगो बू के लिए - Brij Narayan Chakbast

मिटने वालों को वफ़ा का यह सबक याद रहे - Brij Narayan Chakbast

मिरी बे-ख़ुदी है वो बे-ख़ुदी कि ख़ुदी का वहम-ओ-गुमाँ नहीं - Brij Narayan Chakbast

हम सोचते हैं रात में तारों को देख कर - Brij Narayan Chakbast

जहाँ में आँख जो खोली फ़ना को भूल गये - Brij Narayan Chakbast

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