जीवन के आधार - सुव्रत शुक्ल | Jivan ke Aadhar - Suvrat Shukla

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जीवन के आधार - सुव्रत शुक्ल | Jivan ke Aadhar - Suvrat Shukla

आधार जीवन के प्रिय तुम हमारे,
न कोई सहारा सिवा अब तुम्हारे,
पाया तुम्हे, मिट गए दुःख हमारे,
तुम्हारे बिना अब न एक पल जिएंगे।


तुम्हीं से जिएंगे तुम्हीं पर मरेंगे।
तुम्हीं से हमेशा मोहब्बत करेंगे।।


तुम्हीं से है जीवन की खुशियां हमारी,
तुम्हीं से सनम सांस चलती हमारी,
तुम्हीं हो प्रिये जिंदगी अब हमारी,
तुम्हीं पर सदा प्राण वारा करेंगे।

तुम्हीं से जिएंगे तुम्हीं पर मरेंगे।।

मैं माली अकेला,बनो मेरी बगिया,
फंसा हूं भंवर में ,बनो मेरी नैया,
मेरे मूक शब्दों को दो एक जरिया,
तुम्हें हर घड़ी हम पुकारा करेंगे।

तुम्हीं से जिएंगे तुम्हीं पर मरेंगे।।

फैलाओ बाहें, समेटो हमे तुम,
अकेले है कब से,कभी तो मिलो तुम,
लगाओ गले से कभी तो हमें तुम,
ये जीवन तुम्हीं पर लुटाया करेंगे ।

तुम्हीं से जिएंगे तुम्हीं पर मरेंगे।।
तुम्हीं से हमेशा मोहब्बत करेंगे।।

    - सुव्रत शुक्ल

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