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न जाओ अभी - सुव्रत शुक्ल | Na Jao Abhi - Suvrat Shukla
जाने वाले रुको सुन लो मेरी जरा,
तुम न जाओ अभी , पास बैठो यहां।
मैं तुम्हें देख लूं , उंगलियां चूम लूं,
फिर न जाने , मिले हम कहां ,तुम कहां।।
न पता ज़िंदगी जा रही किस तरफ,
कांटे ही चुभ रहे , पैर रखते जहां।
जबसे हो तुम मिले , आंसू उड़ से गए,
दिल हुआ है मुखर , गम गए हैं कहां।।
फूलों की खुशबुओं , चांद की चांदनी,
तुम ही तुम दिख रहे देखता हूं जहां।
देखो आंखो में तुम , कितनी मुरझाई थी,
देखो अब खिल रही , आ गए तुम यहां।।
प्राण तुम हो मेरे , कहते थे तुम कभी,
प्राण जाने को हैं , तुम हो जाने कहां।
आओ देखो जरा , भर लो बाहों में अब,
फिर रहेंगे न हम , जा रहे हैं वहां।।
- सुव्रत शुक्ल
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