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मेरे माधव - सुव्रत शुक्ल | Mere Madhav - Suvrat Shukla
हे माधव! मेरे मनमोहन,
मन के स्वामी , हे प्राणप्रिये।
यह हृदय तुम्हारा जपे नाम,
सांसों को तेरे नाम किये।।
वैभव,यश,सुख,जीवन, समृद्धि
सबकुछ तुमसे ही पायी है,
संबन्ध छोड़ जग के सारे,
बस तुमसे से प्रीत लगायी है।
राधा सा रूप नहीं मेरा,
पर मीरा जैसी भक्ति है।
तुमसे मेरा जीवन चलता,
तुमसे ही मेरी शक्ति है।
माधव! हम तो ठहरे अनाथ,
कोई और न आश्रय है हमको,
तुम हो दीनो के नाथ प्रभु,
फिर दूर किए हो क्यों हमको
दो वचन आज मुझको माधव
जीवन भर साथ तुम्हारा हो।
मैं प्राण तजूं तेरी बाहों में,
माथे पर हाथ तुम्हारा हो।।
- सुव्रत शुक्ल
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