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याद किया करता हूं - सुव्रत शुक्ल | Yaad Kiya Karta Hoon - Suvrat Shukla
यादों को अब शब्द बना कर बयां किया करता हूं।
प्यार तुम्हारा अब मै, कुछ यूं , याद किया करता हूं।।
शशि कलंक बन बैठा था, काजल उन आंखों का।
लगा श्याम रंग मेरे गालों पर ,मिला हार बाहों का।
अपने गालों के काजल को याद किया करता हूं।
प्यार तुम्हारा अब मैं, कुछ यूं ,याद किया करता हूं।।
याद तुम्हारी अब तक संग है, जो तुमने था दिया कभी।
कभी रुलाए , कभी सताए, बस गम था न मिले कभी।
कभी रूठ जाते थे हम जब , आंखे नम कर लेते थे।
भीगी पलकें देख तुम्हारी, खुद को रोक न पाते थे।
ऐसा था कुछ साथ हमारा चांद और सूरज सा।
कभी नहीं हो सके एक हम जीवन था नीरस सा।
पर यादों को लिए हृदय में, पग पग डग भरता हूं।
प्यार तुम्हारा अब मैं , कुछ यूं ,याद किया करता हूं।।
-सुव्रत शुक्ला
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