विविध - माँ भाग 30 - मुनव्वर राना | Vividh - Maa Part 30 - Munawwar Rana
वो चिड़ियाँ थीं दुआएँ पढ़ के जो मुझको जगाती थीं
मैं अक्सर सोचता था ये तिलावत कौन करता है
परिंदे चोंच में तिनके दबाते जाते हैं
मैं सोचता हूँ कि अब घर बसा किया जाये
ऐ मेरे भाई मेरे ख़ून का बदला ले ले
हाथ में रोज़ ये तलवार नहीं आयेगी
नये कमरों में ये चीज़ें पुरानी कौन रखता है
परिंदों के लिए शहरों में पानी कौन रखता है
जिसको बच्चों में पहुँचने की बहुत उजलत हो
उससे कहिये न कभी कार चलाने के लिए
सो जाते हैं फुट्पाथ पे अखबार बिछा कर
मज़दूर कभी नींद की गोलॊ नहीं खते
पेट की ख़ातिर फुटपाथों पे बेच रहा हूँ तस्वीरें
मैं क्या जानूँ रोज़ा है या मेरा रोज़ा टूट गया
जब उससे गुफ़्तगू कर ली तो फिर शजरा नहीं पूछा
हुनर बख़ियागिरी का एक तुरपाई में खुलता है