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हिंदी कविता
वंदे मातरम् - सुव्रत शुक्ल | Vande Mataram - Suvrat Shukla
मां वसुंधरा , शरण तुम्हारी, हम तेरी संतान ।
पाते जन्म यहां पर , जिनके होते पुण्य महान।।
'रामचंद्र', 'प्रह्लाद',' व्यास', 'ध्रुव', 'जन्म' यहां थे पाए।
अपने आदर्शों के बल , मर्यादा पुरुष कहाए।
मिट्टी लगा तिलक माथे पर, करते हम गुणगान।
पाते जन्म यहां पर जिनके होते पुण्य महान।
मां वसुंधरा, शरण तुम्हारी, हम तेरी संतान।।
'कृष्ण - सुदामा', 'रघुनायक- सुग्रीव' मित्र जब बनते ।
ऊंच-नीच भेद त्याग , संदेश प्रेममय देते ।
उन देवावतार जन को करते दंडवत प्रणाम।
पाते जन्म यहां पर जिनके होते पुण्य महान।
मां वसुंधरा, शरण तुम्हारी, हम तेरी संतान।।
चंद्रशेखर आजाद,भगत सिंह , राजगुरु, बटुकेश्वर।
भारत मां का सम्मान रखा , कर दिए प्राण न्योछावर।
उनके चरणों में हम नत, जो हुए यहां बलिदान।
पाते जन्म यहां पर जिनके होते पुण्य महान।
मां वसुंधरा, शरण तुम्हारी, हम तेरी संतान।।
जहां पिता- माता के चरणों में हों चारो धाम ।
हर बच्ची "मां दुर्गा" हो , बच्चा बच्चा "श्री राम"।
शस्य -श्यामला धरती का धरता हो जहां किसान।
बच्चे- बच्चे के मुख होता " वंदे मातरम् "गान ।
पाते जन्म यहां पर जिनके होते पुण्य महान।
मां वसुंधरा, शरण तुम्हारी, हम तेरी संतान।।
- सुव्रत शुक्ल
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