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सपनों के दीवाने - सुव्रत शुक्ल | Sapno ke Deewane - Suvrat Shukla
बचपन अपना कितना सुन्दर ,
हम राजमहल सा जाने हैं।
अपने हाथों का आभूषण ,
बस मिट्टी में ही माने हैं।।
बचपन जरूरतों में बीता
कर्त्तव्य मार्ग पहचाने हैं।
महलों सी सुख की चाह नहीं,
हम सपनों के दीवाने हैं।।
श्रम से पाना चाहें सबकुछ,
हम झुक जाना ना जानें हैं।
वज्र बाहु पर गर्व हमें,
हम सपनों के दीवाने हैं।।
कर्त्तव्य मार्ग सर्वदा सुगम,
ना इनसे हम अनजाने हैं।
विश्वास जहां पग पग बढ़ता,
हम सपनों के दीवाने हैं।।
तारीफ़ बनाती दिन सबके,
जिंदगी सजाते ताने हैं।
ना रुकेंगे, पाएंगे मंजिल,
हम सपनों के दीवाने हैं।।
- सुव्रत शुक्ल
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