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मेरे गीत - सुव्रत शुक्ल | Mere Geet - Suvrat Shukla
जब भी पलकें खोलोगे , पाओगे मेरे गीत।
कुछ पल जी लूं , फिर जाना है , यह जग की है रीत।।
जाना इस दुनिया को मैंने , माया की जननी है ,
व्यक्ति प्राप्त करता उतना , जितना उसकी करनी है।
हो कुछ पल को साथ मेरे , संग थोड़ा जी लूं मैं भी ,
तुम थोड़ा शरमाओ हमसे, तुम्हें मनाएं हम भी।
हंसते - गाते, गाते - हंसते , पल जायेंगे बीत ,
कुछ पल जी लूं , फिर जाना है, यह जग की है रीत।।
संघर्षों से भरा पड़ा हम सबका यह जीवन है ,
कितने कांटे चुभे पांव में , रुकते नहीं कदम हैं।
कहते सब हैं , सुख और दुःख, जीवन के हैं आधार ,
मिलती उसको विजय सदा , जो नहीं मानता हार।
खून - पसीना एक करें , तब जायेंगे हम जीत ,
कुछ पल जी लूं , फिर जाना है , यह जग की है रीत।।
तुम बैठोगे , जब हताश होकर मन में हारे से ,
गूंजेंगे मेरे गीत , तुम्हारे कानों में धीरे से।
चलो- चलो, चलना है थोड़ा , आगे बस मंजिल है ,
राहें देख रहीं पग तेरे , बाट निरखता दिल है।
मैं तो नहीं रहूंगा , मेरे अमर रहेंगे गीत ,
कुछ पल जी लूं , फिर जाना है , यह जग की है रीत।
जब भी पलकें खोलोगे , पाओगे मेरे गीत।
हां , जब भी पलकें खोलोगे पाओगे मेरे गीत।
कुछ पल जी लूं , फिर जाना है , यह जग की है रीत।।
- सुव्रत शुक्ल
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