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22 वां जन्मदिन - सुव्रत शुक्ल | 22nd Janamdin - Suvrat Shukla
ईश्वर को शतकोटि नमन, जो
जीवन का आधार दिया।
धरती पर भेजा तुमको
मुझको अनुपम उपहार दिया।
तुम छोटी चिड़िया जैसी
फुदका करती थीं आंगन में।
सौंदर्य कहूं , यह बर्फ पड़ी हो,
रिमझिम बरसे सावन में।
पाकर बाइस की आयु आज
मेरी दुनिया में आई हो।
तुम अलग नहीं ,मेरी दुनिया हो
मेरी ही परछाई हो।
हर एक बिंदु , कतरा कतरा
रग रग में तुम्हे बसाया है।
मानो उस व्योम विशाल मध्य
तारों का थाल सजाया है।
तुमको विधि ने शायद
हाथों से स्वयं बनाया था।
दल कमल भांति दे नयन तुम्हें
एक दूजा चांद बनाया था।
तुम हो तो तुमसे सबकुछ है
खुशियां हैं सुखमय है संसार
प्राणदायिनी वात शिराओं के,
हो इस जीवन के आधार।
- सुव्रत शुक्ल
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