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हिंदी कविता
जब दिल में नहीं है खोट : अनवर फर्रुखाबादी
Jab Dil Main Nahi hai Khot : Anwar Farrukhabadi
जब दिल में नहीं है खोट तो फिर क्यूं डरता है
नादाँ यहाँ जो करता है वो भरता है
जब दिल में नहीं है खोट तो फिर क्यूं डरता है
नादाँ यहाँ जो करता है वो भरता है
कहाँ चला है ठोकर खाने ये रस्ते हैं अनजाने
इक पाप छुपाने की खातिर सौ पाप ना कर दीवाने -२
क्यूं जीते जी मौत का सौदा करता है
नादाँ यहाँ जो करता है वो भरता है
जब दिल में नहीं है खोट तो फिर क्यूं डरता है
तेरा मालिक है रखवाला तुझे मिल जाएगा उजाला
कहते है मिटाने वाले से बढ़कर है बचाने वाला -२
फिर मूरख अपने हाथों से क्यूं मरता है
नादाँ यहाँ जो करता है वो भरता है
जब दिल में नहीं है खोट तो फिर क्यूं डरता है
जब साफ़ तेरा ये दिल है किस बात की फिर मुश्किल है
भगवान् है तेरी रक्षा को इन्साफ तेरी मंजिल है -२
इस राह में तू डर डर के कदम कुओं धरता है
नादाँ यहाँ जो करता है वो भरता है
जब दिल में नहीं है खोट तो फिर क्यूं डरता है
नादाँ यहाँ जो करता है वो भरता है
जब दिल में नहीं है खोट तो फिर क्यूं डरता है
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