Hindi Kavita
हिंदी कविता
धरती पर भगवान - सुव्रत शुक्ल
Dharti per Bhagwan - Suvrat Shukla
प्रभु भी महिमा गाएं, जिनकी पद रज स्वर्ग समान है।
मात - पिता कहलाते हैं वे धरती पर भगवान हैं।।
जननी से ले जन्म, जनक के साए में हम बड़े हुए।
पीकर मां का दूध, पिता के हाथ पकड़ फिर खड़े हुए।
संस्कारों से सींचा हमको, किया हमें बलवान है।
मात - पिता कहलाते हैं वे धरती पर भगवान हैं।।
सीने से चिपकाकर मां ने, हमको प्यार दुलार किया।
और पिता ने दूर, नज़र से अनुशासन का सार दिया।
मात - पिता का मान हमीं हैं, वही हमारे प्राण हैं।
मात - पिता कहलाते हैं वे धरती पर भगवान हैं।।
मात - पिता ने हेतु हमारे, जो असंख्य तप त्याग किए।
कंटकमय पथ पर चल - चल कर , पुष्पों का उपहार दिया।
आलोकित कर नाम पिता - मां का करना सम्मान है।
मात - पिता कहलाते हैं वे धरती पर भगवान हैं।।
सृष्टिकार ने मात - पिता को ईश्वर का स्थान दिया।
वसुधा मां की संतानों के पोषण का फिर भार दिया।
मात- पिता से जीवन है, बिन उनके सब बेजान है।
मात - पिता कहलाते हैं वे धरती पर भगवान हैं।।
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